रायपुर। 26 January Special : छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के गोंड मुरिया जनजाति के प्रसिद्ध कलाकार पंडी राम मंडावी का नाम इस वर्ष पद्मश्री पुरस्कारों की सूची में शामिल किया गया है। यह सम्मान उन्हें पारंपरिक वाद्ययंत्र निर्माण और लकड़ी की शिल्पकला में उनके असाधारण योगदान के लिए दिया जाएगा।
26 January Special : 68 वर्षीय पंडी राम मंडावी ने पिछले पांच दशकों से बस्तर की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को न केवल संरक्षित किया है, बल्कि इसे नई पहचान भी दिलाई है। उनकी विशेषता बांस की पारंपरिक बस्तर बांसुरी, जिसे स्थानीय रूप से ‘सुलुर’ कहा जाता है, के निर्माण में है। इसके अलावा, उन्होंने लकड़ी के पैनलों पर उभरे चित्र, मूर्तियां और शिल्पकृतियों के माध्यम से अपनी कला को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है।
सांस्कृतिक दूत के रूप में योगदान
पंडी राम मंडावी ने अपनी कला का प्रदर्शन अब तक 8 से अधिक देशों में किया है। उन्होंने कार्यशालाओं के माध्यम से 1,000 से अधिक कारीगरों को प्रशिक्षण दिया, जिससे इस परंपरा को नई पीढ़ियों तक पहुंचाने का मार्ग प्रशस्त हुआ।
कला में शुरुआती कदम
मात्र 12 वर्ष की आयु में उन्होंने अपने पूर्वजों से यह कला सीखी। उनके समर्पण और कौशल ने छत्तीसगढ़ की कला और संस्कृति को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
पंडी राम मंडावी का यह सम्मान न केवल उनकी कला के प्रति समर्पण का प्रमाण है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा का भी गौरव बढ़ाता है।
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