
UPI Transactions
UPI Transactions: नई दिल्ली: भारत में डिजिटल पेमेंट्स को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने वाली यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) प्रणाली में अब बड़ा बदलाव संभव है। केंद्र सरकार, खासकर प्रधानमंत्री कार्यालय और वित्त मंत्रालय की आर्थिक इकाइयों ने इस दिशा में उच्चस्तरीय बैठकें की हैं, जिसमें 3000 रुपये से अधिक के मर्चेंट ट्रांजैक्शन पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) फिर से लागू करने पर विचार किया गया।
सूत्रों के अनुसार, जनवरी 2020 से लागू ‘जीरो MDR’ नीति को आंशिक रूप से समाप्त किया जा सकता है। यानी 3000 रुपये तक के छोटे लेनदेन पर कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा, लेकिन इससे अधिक राशि वाले बड़े मर्चेंट ट्रांजैक्शन पर नाममात्र MDR शुल्क प्रस्तावित किया गया है।
UPI Transactions: बदलाव की ज़रूरत क्यों?
बैंकों और पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स का कहना है कि वर्तमान में यूपीआई का 80% हिस्सा रिटेल डिजिटल ट्रांजैक्शन में है, जिससे उनकी ऑपरेशनल लागत में भारी वृद्धि हुई है। जीरो एमडीआर नीति के चलते उन्हें कोई रिटर्न नहीं मिल रहा, जिससे इनफ्रास्ट्रक्चर और टेक्नोलॉजी में निवेश करना मुश्किल हो गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2020 के बाद से यूपीआई के ज़रिए मर्चेंट पेमेंट्स का कुल ट्रांजैक्शन वॉल्यूम 60 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच चुका है। इस पैमाने पर मुफ्त सेवा देना अब लंबे समय तक संभव नहीं है।
UPI Transactions: क्या होगा नया नियम?
पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) ने सुझाव दिया है कि बड़े मर्चेंट्स से 0.3% तक का MDR चार्ज लिया जाए। गौरतलब है कि वर्तमान में क्रेडिट और डेबिट कार्ड्स पर यह चार्ज 0.9% से 2% के बीच है। हालांकि, RuPay क्रेडिट कार्ड्स को इस शुल्क से बाहर रखने का प्रस्ताव है।
UPI Transactions: UPI का भविष्य और सरकार की नीति
सरकार की प्राथमिकता अब सिर्फ UPI को बढ़ावा देना नहीं, बल्कि उसे लंबे समय के लिए टिकाऊ और मजबूत बनाना है। इसके लिए अगले 12 महीनों में बैंकों, फिनटेक कंपनियों और नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) से विमर्श कर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।