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UP News: बिजनौर : उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने बिजनौर जिले में स्थित महाभारतकालीन ऐतिहासिक स्थल विदुर कुटी को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना को मंजूरी दे दी है। महाभारत सर्किट के प्रमुख गंतव्यों में शामिल इस स्थल के विकास के लिए राज्य सरकार ने 20 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की है। यह स्थल महाभारत काल के महान नीतिज्ञ महात्मा विदुर से जुड़ा होने के कारण श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है।
UP News: विदुर कुटी का सौंदर्यीकरण
पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि विदुर कुटी, जो कुरुवंश के महामंत्री महात्मा विदुर की तपोस्थली रही है, का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है। सरकार इस धरोहर को संवारने और इसे पर्यटकों के लिए और आकर्षक बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके तहत प्रवेश द्वार, सौंदर्यीकरण, प्रकाश व्यवस्था, सूचना केंद्र, शौचालय, पेयजल सुविधा, और विश्राम स्थल जैसी आधुनिक सुविधाएं विकसित की जाएंगी। यह परियोजना बिजनौर को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर नई पहचान दिलाएगी।
UP News: रोजगार और स्थानीय कारीगरों को प्रोत्साहन
मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि विदुर कुटी के विकास से न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे। खासकर बिजनौर के ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ (ODOP) के तहत लकड़ी पर नक्काशी उद्योग को विशेष लाभ होगा। यह परियोजना क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक मंच पर ले जाएगी और स्थानीय कारीगरों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगी।
UP News: बिजनौर में इको-टूरिज्म की संभावनाएं
मंत्री ने बताया कि बिजनौर में इको-टूरिज्म की अपार संभावनाएं हैं। जिले का अमानगढ़ टाइगर रिजर्व, जो 95 वर्ग किलोमीटर में फैला है, वन्यजीव और प्रकृति प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र है। यहां बाघों सहित कई दुर्लभ प्रजातियां पाई जाती हैं। इसके अलावा, हैदरपुर वेटलैंड पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग के समान है, जहां सर्दियों में देश-विदेश से प्रवासी पक्षी आते हैं। पर्यटन विभाग द्वारा संचालित होम स्टे सुविधाएं पर्यटकों को किफायती दरों पर उपलब्ध हैं, जो पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास को बढ़ावा दे रही हैं।
UP News: विदुर कुटी का ऐतिहासिक महत्व
महाभारत काल में महात्मा विदुर ने युद्ध को रोकने के लिए महाराज धृतराष्ट्र को समझाने की कोशिश की थी, लेकिन उनकी सलाह को अनसुना कर दिया गया। इसके बाद विदुर ने हस्तिनापुर छोड़कर गंगा के पूर्वी तट पर कुटी बनाकर तपस्या की थी। मान्यता है कि जब श्रीकृष्ण कौरवों को समझाने में असफल रहे, तो वे विदुर की कुटी में आए थे। विदुर आश्रम में उनके पदचिन्ह आज भी संगमरमर पर सुरक्षित हैं, जिनके दर्शन के लिए श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं। विदुर नीति, जो चाणक्य नीति के समान महत्व रखती है, आज भी लोकमानस में प्रासंगिक है।
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