ISKCON (इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस) के अनुयायी दुनियाभर में अपने अनोखे भक्ति प्रदर्शन के लिए जाने जाते हैं। इन भक्तों को अक्सर प्रमुख और व्यस्त चौराहों, स्थानीय बाजारों या अन्य सार्वजनिक स्थलों पर भक्ति गीत गाते हुए देखा जाता है। यह केवल एक धार्मिक अभ्यास ही नहीं है, बल्कि उनके लिए धन जुटाने का एक खास तरीका भी है, जो मंदिरों के निर्माण और रखरखाव में सहायता करता है।
कैसे करते हैं धन संग्रह?
- भक्ति संगीत और कीर्तन:
अनुयायी पारंपरिक वाद्य यंत्रों जैसे मृदंग, करताल के साथ श्रीकृष्ण के भक्ति गीत गाते हैं। उनकी मधुर धुन और उत्साहजनक कीर्तन लोगों को आकर्षित करती है। - चंदा संग्रह:
कीर्तन के दौरान, भक्त श्रद्धालुओं और राहगीरों से मंदिर निर्माण और धार्मिक गतिविधियों के लिए सहयोग की अपील करते हैं। यह प्रक्रिया पूरी तरह स्वैच्छिक होती है। - धार्मिक सामग्री का वितरण:
कई बार अनुयायी भगवान कृष्ण से जुड़ी किताबें, प्रसाद और धार्मिक वस्त्र बेचकर भी धन जुटाते हैं।
भक्ति प्रदर्शन का महत्व
ISKCON अनुयायियों के लिए यह सिर्फ धन संग्रह करने का तरीका नहीं है, बल्कि एक धार्मिक सेवा भी है। वे मानते हैं कि भक्ति संगीत से न केवल लोगों को अध्यात्म से जोड़ा जा सकता है, बल्कि भगवान श्रीकृष्ण का नाम अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाया जा सकता है।
लोगों की प्रतिक्रिया
- सकारात्मक:
उनके संगीत और समर्पण को देखकर कई लोग प्रेरित होते हैं और स्वेच्छा से दान करते हैं। - नकारात्मक:
कुछ लोग इसे सार्वजनिक स्थानों पर असुविधा के रूप में भी देखते हैं और इस पर आपत्ति जताते हैं।
मंदिरों का निर्माण और रख-रखाव
ISKCON द्वारा जुटाई गई धनराशि का उपयोग मंदिरों के निर्माण, रख-रखाव, और धार्मिक गतिविधियों जैसे भंडारे, सांस्कृतिक कार्यक्रम और शिक्षा के लिए किया जाता है।
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