
UN Ocean Conference
UN Ocean Conference: नीस। संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन के मंच से भारत ने समुद्री संरक्षण को लेकर अपनी गंभीर प्रतिबद्धता का स्पष्ट और प्रभावशाली संदेश दिया। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि महासागर केवल जैव विविधता के केंद्र नहीं, बल्कि भारतीय जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा हैं।
भारत ने बताया कि वह ‘हाई सीज संधि’ (High Seas Treaty) पर पहले ही हस्ताक्षर कर चुका है और इसकी अनुमोदन प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है। इस ऐतिहासिक संधि का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्रों में समुद्री जैव विविधता का सतत संरक्षण और न्यायसंगत उपयोग सुनिश्चित करना है।
UN Ocean Conference: स्वच्छ और सुरक्षित महासागरों के लिए भारत की ठोस पहल
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत ने समुद्री प्रदूषण, विशेषकर प्लास्टिक कचरे को समाप्त करने के लिए बहुआयामी प्रयास किए हैं। ‘स्वच्छ सागर, सुरक्षित सागर’ अभियान के तहत 1,000 किलोमीटर से अधिक समुद्र तटों की सफाई की गई है। वर्ष 2022 तक 50,000 टन से अधिक प्लास्टिक कचरे का सुरक्षित निस्तारण किया जा चुका है। भारत ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने जैसे सख्त कदम भी उठाए हैं।
UN Ocean Conference: ब्लू इकोनॉमी और समुद्री अन्वेषण में भारत की बड़ी पहल
भारत महासागर संसाधनों के सतत और संतुलित उपयोग के लिए कई पहलें कर रहा है: ब्लू इकोनॉमी के तहत 80 अरब डॉलर की परियोजनाएं चल रही हैं। ‘समुद्रयान’ मिशन के माध्यम से भारत 6,000 मीटर गहराई तक मानवयुक्त समुद्री अन्वेषण की तैयारी कर रहा है। समुद्री ऊर्जा, अनुसंधान और सतत मत्स्यन जैसे क्षेत्रों में भी भारत अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
UN Ocean Conference: भारत का वैश्विक संदेश: महासागर संरक्षण हमारी प्राथमिकता
सम्मेलन में भारत ने दो टूक कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुद्री जैव विविधता का संरक्षण केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि वैश्विक आवश्यकता है। भारत इस दिशा में अपनी भूमिका को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है। हाई सीज संधि, जिसे जून 2023 में स्वीकार किया गया था, उसके लागू होने के लिए 60 देशों की मंजूरी आवश्यक है। अब तक 49 देश इसे अनुमोदित कर चुके हैं, और भारत इस प्रक्रिया में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
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