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तुलसी को हिंदू धर्म में दिव्य और पूजनीय पौधा माना जाता है। इसे हरिप्रिया, विष्णुप्रिया और कृष्ण बल्लभ जैसे नामों से पूजा जाता है। आयुर्वेद में तुलसी को “संजीवनी” के रूप में जाना जाता है, जो कई बीमारियों से निजात दिलाने में सहायक है। तुलसी न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके औषधीय गुण इसे हर घर के लिए अनमोल बनाते हैं।
तुलसी का विवाह भगवान विष्णु से होता है, जिससे यह धार्मिक रूप से विशेष बनती है। इसे देवताओं की प्रिय माना गया है और हर घर में इसकी पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तुलसी का घर में होना सुख, समृद्धि और शांति का प्रतीक है।
आयुर्वेद में तुलसी को कई बीमारियों के इलाज में उपयोगी बताया गया है। आयुर्वेदिक चिकित्सकों के अनुसार, यह सर्दी-जुकाम, चर्म रोग, मूत्र विकार, और हड्डियों की कमजोरी जैसी समस्याओं में लाभकारी है।
1. सर्दी-जुकाम में राहत:
तुलसी के काढ़े का सेवन सर्दी, गले की खराश और ज्वर में राहत देता है।
2. चर्म रोग का उपचार:
तुलसी का चूर्ण चर्म रोगों में लाभकारी है और त्वचा को निखारता है।
3. हड्डियों को मजबूती:
तुलसी महिलाओं में हड्डियों की मजबूती और अस्थि पोषण को बढ़ावा देती है।
4. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए:
तुलसी, अदरक और गुड़ से बना काढ़ा इम्यूनिटी को मजबूत करता है।
5. मूत्र विकार में प्रभावी:
तुलसी की मंजरी मूत्र विकारों का प्रभावी उपचार करती है।
6. त्वचा को बनाए युवा:
नियमित सेवन त्वचा को निखारता है और युवावस्था को बनाए रखने में मदद करता है।
तुलसी आपके घर में मौजूद ऐसा पौधा है, जो पूजा से लेकर चिकित्सा तक हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके नियमित उपयोग से न केवल शारीरिक रोगों से बचाव होता है, बल्कि मानसिक शांति और आध्यात्मिक लाभ भी मिलते हैं।
तुलसी को अपने दैनिक जीवन में शामिल करके शरीर को स्वस्थ, मन को शांत और जीवन को संतुलित बनाया जा सकता है। यह कुदरत का ऐसा तोहफा है, जो हर परिवार के लिए अनमोल है।
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