
राजनांदगांव का त्रिवेणी संग्रहालय: संग्रहालय की स्थिति पर सवाल....
राजनांदगांव : राजनांदगांव को साहित्य की राजधानी कहा जा सकता है, क्योंकि यहां बलदेव प्रसाद मिश्र, गजानन माधव मुक्तिबोध और पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी जैसे तीन विश्व प्रसिद्ध साहित्यकारों ने जन्म लिया और यहीं अपने जीवन का अधिकांश समय बिताया। इन महान साहित्यकारों की याद में रानी सागर के पास त्रिवेणी परिसर में एक संग्रहालय का निर्माण किया गया था, जिसमें इनके द्वारा रचित साहित्य और उनके जीवन से जुड़ी अहम जानकारी प्रदर्शित की गई थी। यह संग्रहालय 2005 में स्थापित किया गया था और इसके निर्माण में लाखों रुपये खर्च किए गए थे।
हालांकि, इस संग्रहालय का वास्तविक उद्देश्य पूरी तरह से पूरा नहीं हो सका है। वर्षों बाद भी यह संग्रहालय उपेक्षित और अव्यवस्थित पड़ा है, जहां साहित्यकारों द्वारा रचित साहित्य धूल खा रहा है और इसकी स्थिति बेहद खराब है। जबकि इन साहित्यकारों का नाम न केवल देश में, बल्कि पूरे विश्व में सम्मानित है, उनके जन्म और कर्मस्थली के पास स्थित यह संग्रहालय इस स्थिति में है कि यह अब किसी के ध्यान में नहीं आता।
राजनांदगांव के वर्तमान साहित्यकारों का कहना है कि संग्रहालय का उचित रखरखाव होना चाहिए, ताकि युवा पीढ़ी इसे देख सके और इन महान साहित्यकारों के विचारों और कृतियों से प्रेरणा ले सके। इस संग्रहालय को फिर से जीवित करने के लिए उचित उपाय किए जाने चाहिए, ताकि यह एक प्रेरणास्त्रोत बन सके और युवाओं को साहित्य से जोड़ सके।
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