तिरुपति
नई दिल्ली/तिरुपति: देश के प्रमुख तीर्थस्थल तिरुमला तिरुपति मंदिरों में श्रद्धालुओं को दिए जाने वाले प्रसाद लड्डू में जानवरों की चर्बी मिला घी इस्तेमाल करने का मामला फिर चर्चा में आया है। बीते साल यह विवाद इतना बढ़ गया था कि मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और कोर्ट ने सीबीआई, राज्य पुलिस और फूड सेफ्टी अधिकारियों की संयुक्त जांच कमेटी बनाने का आदेश दिया।
जांच में सामने आया कि 50 लाख रुपये का लेन-देन हुआ था। तिरुपति मंदिर ट्रस्ट के तत्कालीन चेयरमैन वाईवी सुब्बा रेड्डी के निजी सहायक के. चिन्नाप्पन्ना को यह राशि मिली थी। जांच में खुलासा हुआ कि यह रकम यूपी स्थित कंपनी एग्री फूड्स प्राइवेट लिमिटेड ने हवाला एजेंट्स के जरिए दी थी। दिल्ली के पटेल नगर मेट्रो स्टेशन के पास भी दो बार रकम का लेन-देन हुआ, जिसमें अमन गुप्ता और विजय गुप्ता शामिल थे।
जांच रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि लड्डू के लिए घी सप्लाई करने में चार कंपनियां शामिल थीं और इन कंपनियों ने दस्तावेजों में छेड़छाड़ कर टेंडर हासिल करने की कोशिश की। कुल 60.37 लाख किग्रा घी 240.8 करोड़ रुपये में बेचा गया। खासतौर पर भोले बाबा ऑर्गेनिक डेयरी मिल्क प्राइवेट लिमिटेड ने यह घी तैयार किया, जिसमें पाम ऑइल और रसायन मिलाकर गुणवत्ता बढ़ाने का प्रयास किया गया।
घी को रुड़की स्थित प्लांट में तैयार करने के बाद अन्य कंपनियों के माध्यम से सप्लाई किया गया। श्री वैष्णवी डेयरी ने 133.12 करोड़ रुपये में, मालगंगा मिल्क एंड एग्रो प्रोडक्ट्स ने 73.18 करोड़ रुपये में और एआर डेयरी फूड्स ने 1.61 करोड़ रुपये के घी की सप्लाई की। इसके अलावा, मैसूरु स्थित सेंट्रल फूड टेक्नोलॉजिकल रिसर्च इंस्टिट्यूट ने भी घी में मिलावट की पुष्टि की।
जांच में यह तथ्य भी सामने आया कि 2024 तक घी की सप्लाई जारी रही, जबकि मिलावट का पता पहले ही लग चुका था। इस खुलासे ने तिरुपति लड्डू प्रसाद की पवित्रता और मंदिर प्रशासन की जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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