
इंसानों को डुबाने वाला पत्थर कहां पर है जानें
बालोद। जो भी इस पर बैठ कर नहाया घर वापस नहीं आया: जिला मुख्यला से 12 किलोमीटर दूर 11 वीं शताब्दी के शिवालय के पास बाँध के किनारे सुदर्शन चक्र के आकार का एक पत्थर है। जो भी इंसान इस रहस्यमयी पत्थर, जो भी इस पर बैठ कर नहाया घर वापस नहीं आया। ग्रामीणों का दावा है कि ये पत्थर इंसान के बैठते ही धीरे -धीरे घूमता हुआ बाँध के पानी पर तैरता हुआ आगे बढ़ने लगता है। बाँध के बीच में जाते ही वो पत्थर अचानक डूब जाता है। उस पर बैठा इंसान अगर तैरना जानता है तो तैर कर वापस आ जाता है। अगर उसे तैरना नहीं आता तो वो डूब जाता था। इसी के कारण इस पत्थर को सदियों पहले ही वहां से उठा कर मंदिर के प्रांगण में लाकर रख दिया।
बालोद जिला मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर दूर बालोद अर्जुन्दा मुख्य मार्ग पर जगन्नाथपुर गांव में एक 11 वीं शताब्दी का एक मंदिर स्थित है….मंदिर देखने में तो काफी छोटा और भव्य हैा इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में किया गया था
….ऐसी किंवदंती है कि जगदलपुल का राजपरिवार उड़ीसा के पुरी में स्थित महाप्रभु जगन्नाथ के मंदिर दर्शन के लिए गया था। वहां से वापस लौटने के दौरान राजपरिवार के लोग डुवा गांव में विश्राम करने के लिए बांध किनारे रुके। जहां रुकने पर उन्हें वहां का वातावरण पुरी के जगन्नाथ मंदिर जैसा लगा तब से उस गांव का नाम डुवा से बदलकर जगन्नापुर कर दिया गया।
इसी मंदिर के प्रांगण में ही सुदर्शन चक्र के आकार वाला एक पत्थर रखा हुआ है। ग्रामीणों का दावा है कि यही इंसानों को डुबाने वाला रहस्यमयी पत्थर है।
इंसानों को डुबाने वाला पत्थर कैसे करता था काम
ग्रामीणों ने बताया कि उनके पुरखों ने उनको बताया था कि ये वही पत्थर है जो पहले बाँध के किनारे सीढ़ियों पर पड़ा था। जो भी इस पत्थर पर बैठ कर नहाना शुरू करता था तो पत्थर आहिस्ता -आहिस्ता घूमते हुए गहरे पानी की और बढ़ने लगता था। जैसे -जैसे वो बाँध के गहरे पानी में किनारे से दूर होता जाता था उसकी रफ़्तार भी तेज होती जाती थी। बाँध के बीच में पहुँचते ही अचानक वो डूब जाता था। अब अगर पत्थर पर बैठे व्यक्ति को तैरना आता था तो वो तैर कर पानी से बाहर निकल आता था। जो तैरना नहीं जानता था वो डूब जाता था। सावन के पावन महीने में इस मंन्दिर में श्रद्धलुओं का तांता लगा रहता है। बलुआ पत्थरों के नक्काशी दार खम्भों के बीच एक सुन्दर शिवलिंग है। वहीं भगवान् गणेश जी की भी मूर्ति के दर्शन होते हैं।
मंदिर के सुदर्शन चक्र के आकर वाले पत्थर को लेकर किये गए दावे में कितनी सच्चाई है, ये जांच का विषय हो सकता है, मगर कड़वी सच्चाई ये है कि राम मंदिर बनाने वाली सरकार के राज्य में एक ऐतिहासिक मंदिर अपने जीर्णोद्धार की राह देख रहा है।