
Teachers Day 2024
Teachers Day 2024 : डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के एक विचार ने भारत में शिक्षक दिवस (Teacher’s Day) मनाने की परंपरा की शुरुआत की। जब डॉ. राधाकृष्णन भारत के राष्ट्रपति बने, तब उनके छात्रों और अनुयायियों ने उनके जन्मदिन, 5 सितंबर, को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की इच्छा जताई।
डॉ. राधाकृष्णन ने इस प्रस्ताव को सम्मानित किया, लेकिन उन्होंने अनुरोध किया कि उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने के बजाय, यह दिन सभी शिक्षकों की उपलब्धियों और उनके योगदान को सम्मानित करने के लिए मनाया जाए। इस प्रकार, 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत हुई।
यह दिन शिक्षकों की महिमा और उनके समाज में महत्वपूर्ण योगदान को मान्यता देने का अवसर है।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का शिक्षक दिवस के रूप में 5 सितंबर को मनाने का प्रस्ताव उनके जीवन और शिक्षण के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह कहानी इस प्रकार है:
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का शिक्षक दिवस के प्रति दृष्टिकोण
पृष्ठभूमि: डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, जो भारतीय शिक्षा के महान आचार्य और दार्शनिक थे, ने भारतीय शिक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वे 1952 में भारत के पहले उपराष्ट्रपति बने और 1962 में भारत के राष्ट्रपति बने।
Teachers Day 2024
प्रस्ताव और छात्रों की इच्छा: जब डॉ. राधाकृष्णन राष्ट्रपति बने, उनके छात्रों और अनुयायियों ने उनके जन्मदिन, 5 सितंबर, को विशेष रूप से उनके योगदान के सम्मान में शिक्षक दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव रखा।
डॉ. राधाकृष्णन का उत्तर: डॉ. राधाकृष्णन ने इस प्रस्ताव को विनम्रता से स्वीकार किया, लेकिन उन्होंने अनुरोध किया कि उनका जन्मदिन उनके व्यक्तिगत सम्मान के बजाय, सभी शिक्षकों की उपलब्धियों और उनके महत्व को मान्यता देने के रूप में मनाया जाए। उन्होंने शिक्षकों के प्रति सम्मान और उनकी भूमिका को महत्व देने पर जोर दिया।
शिक्षक दिवस की शुरुआत: डॉ. राधाकृष्णन की इच्छा को मानते हुए, 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। यह दिन शिक्षकों के योगदान और उनकी शिक्षण पद्धतियों को सम्मानित करने का अवसर बन गया।
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उद्देश्य और महत्व: शिक्षक दिवस केवल डॉ. राधाकृष्णन के सम्मान में नहीं, बल्कि सभी शिक्षकों की कठिनाईयों और उनके समाज में महत्वपूर्ण योगदान को मान्यता देने के लिए मनाया जाता है। इस दिन, विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों में शिक्षकों को सम्मानित किया जाता है और उनके प्रयासों की सराहना की जाती है।
इस प्रकार, डॉ. राधाकृष्णन की शिक्षाविदों के प्रति उनकी गहरी श्रद्धा और शिक्षा के प्रति उनके समर्पण ने भारतीय समाज में शिक्षक दिवस के रूप में इस महत्वपूर्ण दिन की शुरुआत की।
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