Sonoboy : भारत का ‘सोनोबॉय’ एक अत्याधुनिक तकनीक है जिसे समुद्र में दुश्मन की आहट पर नजर रखने के लिए विकसित किया गया है।
यह एक प्रकार का सोनार डिवाइस है जिसे पानी में डाला जाता है ताकि समुद्री गतिविधियों की निगरानी की जा सके।
सोनोबॉय क्या है?
सोनोबॉय एक छोटा, तैरने वाला उपकरण है जिसे समुद्र में फेंका जाता है। इसमें सोनार तकनीक का उपयोग होता है, जो ध्वनि तरंगों के माध्यम से वस्तुओं की पहचान और उनके स्थान का पता लगाता है।
जब यह डिवाइस समुद्र के भीतर तैरता है, तो यह उसके चारों ओर की ध्वनि तरंगों को कैप्चर करता है और विश्लेषण करता है।
कैसे काम करता है?
ड्रॉपिंग: सोनोबॉय को एक विमान या जहाज से समुद्र में फेंक दिया जाता है।
सोनार सिग्नल: यह डिवाइस समुद्र की गहराई में जाकर ध्वनि तरंगें भेजता है और वापस आने वाले इको को रिकॉर्ड करता है।
Sonoboy
सिग्नल प्रोसेसिंग: प्राप्त सिग्नल्स का विश्लेषण करके यह डिवाइस किसी भी संभावित दुश्मन या समुद्री वस्तुओं का पता लगाता है।
डेटा ट्रांसमिशन: सिग्नल्स की जानकारी को आमतौर पर जहाज या विमान पर वापस भेजा जाता है, जिससे युद्धपोत या युद्धक विमान दुश्मन की स्थिति के बारे में जान सकते हैं।
महत्व:
एंटी-सबमरीन वारफेयर: सोनोबॉय विशेष रूप से दुश्मन की पनडुब्बियों का पता लगाने में सहायक होता है। पनडुब्बियाँ आमतौर पर पानी के भीतर छुपी रहती हैं, इसलिए इन्हें ढूंढना चुनौतीपूर्ण होता है।
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निगरानी और इंटेलिजेंस: यह समुद्री क्षेत्र में दुश्मन की गतिविधियों की निगरानी के लिए भी महत्वपूर्ण है।
तटीय सुरक्षा: तटीय सुरक्षा में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है, खासकर समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के लिए।
भारत जैसे देशों के लिए, जहां समुद्री सीमाएँ बड़ी होती हैं और सुरक्षा की चुनौतियाँ भी मौजूद रहती हैं, सोनोबॉय एक महत्वपूर्ण उपकरण है जो समुद्री सुरक्षा और निगरानी को बढ़ावा देता है।
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