
हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को सोमवती अमावस्या मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व होता है। इस वर्ष सोमवती अमावस्या 30 दिसंबर 2024 को मनाई जाएगी। माना जाता है कि इस दिन पूजा-पाठ और व्रत करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
सोमवती अमावस्या का महत्व
सोमवती अमावस्या पर व्रत रखने का विधान है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना करते हुए व्रत रखती हैं। पीपल के पेड़ को भगवान शिव का वास मानकर उसकी पूजा और परिक्रमा करती हैं। कहा जाता है कि इस दिन शिव जी की आराधना से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
सोमवती अमावस्या की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक ब्राह्मण की कन्या, जो सर्वगुण संपन्न थी, का विवाह नहीं हो पा रहा था। एक दिन एक साधु ब्राह्मण के घर आए और कन्या के स्वभाव से प्रसन्न होकर उसे लंबी आयु का वरदान दिया। ब्राह्मण ने साधु से अपनी कन्या के विवाह के लिए उपाय पूछा। साधु ने बताया कि कन्या के हाथ में विवाह रेखा नहीं है, लेकिन पास के गांव में रहने वाली धोबिन “सोना” को खुश करके उससे उसका सुहाग प्राप्त कर सकती है।
कन्या ने साधु की बात मानी और धोबिन के घर जाकर उसकी सेवा करने का निश्चय किया। रोज़ाना सूर्योदय से पहले वह धोबिन के घर जाकर सारा काम निपटाकर लौट आती। धोबिन ने अपनी बहू को यह सोचकर आशीर्वाद दिया कि वह इतनी अच्छी है। अपनी सेवा और श्रद्धा से कन्या ने धोबिन को प्रसन्न कर उसका सुहाग प्राप्त किया और उसका विवाह संपन्न हुआ।
पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें।
- पीपल के पेड़ के चारों ओर 108 बार कच्चे सूत को लपेटते हुए परिक्रमा करें।
- व्रत के दौरान शिव चालीसा और महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करें।
- जरूरतमंदों को दान करें।
महत्वपूर्ण बातें
इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। व्रत और कथा सुनने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। सोमवती अमावस्या का यह पावन दिन आपकी हर मनोकामना पूरी करने का अवसर है। हर हर महादेव!