
खामोश संवाद : हाशिये से केंद्र तक कला प्रदर्शनी....
नई दिल्ली, 16 अक्टूबर, 2024: कला प्रदर्शनी `खामोश संवाद: हाशिये से केंद्र तक’ का द्वितीय संकलन 17 अक्तूबर से राजधानी में शुरू होगा.
इसका उदघाटन केंद्रीय विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर करेगें| इस उपलक्ष्य पर पर्यावरण, वन एवं जल वायु मंत्री भूपेंद्र यादव भी उपस्थित रहेगें|
इस चार-दिवसीय प्रदर्शनी का आयोजन राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और संकला फाउंडेशन द्वारा किया गया है| राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (भारत) और इंटरनेशनल बिग कैट्स अलायन्स इसका समर्थन कर रहे हैं|
उद्घाटन सत्र के में राजस्थान से गाजी खान बरना और गुजरात से ललित्या मुन्शाव सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करेगें| गजेन्द्र सिंह शेखावत, केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री भी इसमें शामिल होंगें|

प्रदर्शनी में देश के 22 बाघ अभ्यारण्य के आस-पास रहने वाले जनजातीय समुदाई द्वारा बनाई गयी 100 से अधिक कलाकृतियाँ और 200 से अधिक चित्रों को बिक्री के लिए रखा जाएगा|
बिक्री का पैसा सीधा कलाकारों के खातों में डाला जाएगा| गोंड, वरली, पटचित्र एवं सोहराई प्रारूप में बनायीं गयी कला कृतियाँ प्रदर्शनी में देखने को मिलेंगी|
कला कृतियाँ स्थाई सामग्री से बनायीं गयी है जो इन समुदायों का पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता दर्शाता है|
यह प्रदर्शनी जनजातीय समुदाय और वन में रहने वाले लोगों और पर्यावरण के बीच के तालमेल को दर्शाती है
जो की कला कृतियों द्वारा प्रदर्शित की गयी है| इस प्रदर्शनी का उद्देश्य जनजातीय समुदाय के संरक्षण के प्रति प्रतिबधता को मान्यता प्रदान करना और इनमें और पर्यावरण के बीच सम्बन्ध पर ध्यान केंद्रित करना है|
यह युवा पीढ़ी को भी प्रेरित करने का काम करेगी| प्रद्रशिनी में आने वाले लोग कलाकारों से भी संवाद कर सकेगें|
प्रदशिनी में 49 कलाकार आये हैं जिन्हें दिल्ली की संस्कृति से अवगत करवाया जाएगा|
इसके लिए उन्हें ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का परिचय दिया जाएगा| इन कलाकारों में से 10 मध्य प्रदेश से, 7-7 महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़, दो-दो तेलंगाना और राजस्थान से आये हैं|
अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, ओडिशा और अन्य राज्यों से भी कुछ कलाकार आये हैं| भारत में 1,70,000 वन गाँव हैं जहाँ 30 करोड़ लोग रहते हैं जिनका जीवन यापन वनों पर ही निर्भर है|
वन संपत्ति में वन्य जीव भी शामिल है| लोगों का वन पर निर्भर होना इन वन्य जीवों पर खतरे को भी दर्शाता है और मनुष्यों और वन्यजीवों में संघर्ष का कारण भी है|
लेकिन जनजातीय समुदाय इन वन्य जीवों के साथ न केवल सौहार्दपूर्ण तरीके के साथ रहता है बल्कि वनों की रक्षा भी करता है|
बाघ संरक्षण में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की महत्त्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि 75% बाघ भारत में पाए जाते हैं| वर्ष 2023 में भारत में 3,682 बाघ थें|
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वर्ष 2023 में इस प्रदर्शनी का पहला संकलन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया था| यह संकला फाउंडेशन और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण द्वारा 3 से 5 नवम्बर तक किया गया था|
इसमें 134 कला कृतियाँ रखी गयी थी जिनसे 30 वन अभ्याराओं में रहने वाले102 कलाकारों ने बनाया था और 76 कला कृतियाँ बिकी थी| कलाकार राष्ट्रपति महोदय से भी मिले थे
और इनमें से कुछ सात दिन के लिए राष्ट्रपति भवन में ठहरे थे जहाँ उन्होंने और भी चित्र बनाये| इन में से एक राष्ट्रपति भवन को भेंट किया गया|
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