Shattila ekadashi : षटतिला एकादशी का व्रत माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और इस दिन तिल का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत रखने, भगवान विष्णु की पूजा करने और व्रत कथा पढ़ने से जीवन के पाप नष्ट होते हैं, और घर में सुख-समृद्धि आती है।
आइए जानते हैं षटतिला एकादशी व्रत का महत्व, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और व्रत कथा।
षटतिला एकादशी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
2025 में षटतिला एकादशी 25 जनवरी को मनाई जाएगी।
- पूजा का शुभ मुहूर्त: सुबह 5:26 बजे से 6:19 बजे तक।
इस समय भगवान विष्णु की पूजा और व्रत कथा पढ़ना बेहद शुभ माना गया है।
षटतिला एकादशी का महत्व
षटतिला एकादशी व्रत में तिल (तिल के बीज) का खास महत्व होता है। इस दिन तिल का उपयोग स्नान, हवन, भोजन, और दान में किया जाता है।
- तिल से स्नान करने से शरीर शुद्ध होता है।
- तिल का दान करने से पापों का नाश होता है।
- तिल से हवन करने पर देवी-देवता प्रसन्न होते हैं।
- तिल का भोग लगाने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है।
इस व्रत से न केवल व्यक्ति के कष्ट समाप्त होते हैं, बल्कि जीवन में धन-धान्य और सुख-शांति का वास होता है।
षटतिला एकादशी व्रत कथा
एक बार नारद मुनि भगवान विष्णु के पास पहुंचे और माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी का महत्व जानना चाहा। भगवान विष्णु ने नारद जी को षटतिला एकादशी की कथा सुनाई:
पृथ्वी पर एक ब्रह्मणी रहती थी, जो हमेशा व्रत और पूजा-पाठ में लगी रहती थी। हालांकि, वह देवताओं को प्रसन्न नहीं कर पाई क्योंकि उसने तिल का दान नहीं किया था। वह केवल ब्राह्मणों को भोजन और धन दान करती थी।
एक दिन भगवान विष्णु ने कृपाली का रूप धारण कर उस ब्रह्मणी के घर भिक्षा मांगी। ब्रह्मणी ने नाराज होकर भिक्षा के पात्र में मिट्टी का डला डाल दिया।
मृत्यु के बाद ब्रह्मणी स्वर्ग पहुंची, जहां उसे रहने के लिए मिट्टी का सुंदर घर दिया गया, लेकिन वहां भोजन का कोई प्रबंध नहीं था।
जब ब्रह्मणी ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की, तो भगवान ने उसे बताया कि उसने तिल का दान नहीं किया, जिससे उसे यह स्थिति मिली। देवांगनाओं के कहने पर ब्रह्मणी ने षटतिला एकादशी का व्रत किया। व्रत के प्रभाव से उसके घर में सभी प्रकार के सुख-साधन और अन्न-धन भर गया।
षटतिला एकादशी व्रत विधि
- स्नान और संकल्प:
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। - भगवान विष्णु की पूजा:
भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र पर गंगाजल, तिल, फूल, और तुलसी अर्पित करें। - तिल का उपयोग:
तिल से स्नान करें, तिल का हवन करें, तिल का भोग लगाएं, और तिल का दान करें। - व्रत कथा का पाठ करें:
पूजा के दौरान या बाद में व्रत कथा पढ़ें और भगवान विष्णु से प्रार्थना करें। - दान-पुण्य करें:
ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को तिल, अन्न, वस्त्र, और धन का दान करें।
व्रत से होने वाले लाभ
- पापों का नाश:
व्रत और तिल के दान से व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं। - धन-धान्य में वृद्धि:
भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा से घर धन-धान्य से भर जाता है। - सुख-शांति:
व्रत से जीवन में शांति और समृद्धि आती है। - मोक्ष की प्राप्ति:
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, व्रत से व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है।
षटतिला एकादशी व्रत का पालन करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह व्रत न केवल पापों का नाश करता है, बल्कि भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा से घर को सुख-शांति और धन-धान्य से भर देता है।
इस पावन अवसर पर आप भी व्रत रखें, कथा पढ़ें, और तिल का दान कर भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करें।
हरि ओम!
Discover more from ASIAN NEWS BHARAT
Subscribe to get the latest posts sent to your email.