
Shankaracharya Avimukteshwaranand
Shankaracharya Avimukteshwaranand: वाराणसी: सेक्युलर शब्द को लेकर देश की राजनीति में फिर एक बार बहस छिड़ गई है। इस बार शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज खुलकर इस मुद्दे पर सामने आए हैं। उन्होंने यह स्पष्ट रूप से कहा है कि ‘सेक्युलर’ शब्द भारतीय संविधान का मूल हिस्सा नहीं था, बल्कि इसे बाद में जोड़ा गया। उनका दावा है कि यह शब्द भारतीय परंपरा और सोच के विपरीत है और इसी वजह से समय-समय पर यह चर्चा में आता रहा है।
Shankaracharya Avimukteshwaranand: धर्म बनाम सेक्युलरिज्म की बहस
धर्म की परिभाषा पर बोलते हुए शंकराचार्य ने कहा, “धर्म का अर्थ होता है सही और गलत में अंतर समझना, सत्य को अपनाना और असत्य का त्याग करना। लेकिन ‘सेक्युलर’ का अर्थ है कि व्यक्ति सही और गलत से तटस्थ रहे, जो व्यावहारिक जीवन में असंभव है।” उन्होंने इसे भारतीय दर्शन और सांस्कृतिक सोच के खिलाफ बताया।
Shankaracharya Avimukteshwaranand: RSS नेता दत्तात्रेय होसबोले का बयान बना बहस की जड़
यह बयान ऐसे समय में आया है जब हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने संविधान की प्रस्तावना से ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘समाजवादी’ जैसे शब्दों को हटाने की वकालत की। उन्होंने आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर कहा कि 1976 में 42वें संविधान संशोधन के जरिए ये शब्द जबरन जोड़े गए थे, जिन पर अब दोबारा विचार होना चाहिए।
Shankaracharya Avimukteshwaranand: सरकार के मंत्री भी समर्थन में
होसबोले के इस बयान को बीजेपी के दिग्गज नेताओं का भी समर्थन मिला। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसे “गंभीर विचार योग्य मुद्दा” बताया, जबकि पीएमओ में राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने भी इस विचार को उचित ठहराया।
Shankaracharya Avimukteshwaranand: उपराष्ट्रपति ने रखी अलग राय
हालांकि, इस बहस में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने थोड़ी अलग राय रखी। उन्होंने संविधान की प्रस्तावना को संविधान की आत्मा बताते हुए कहा कि इसमें बदलाव नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि 42वें संशोधन में जोड़े गए शब्द अगर वास्तव में आवश्यक होते, तो डॉ. भीमराव अंबेडकर उन्हें पहले ही शामिल करते। साथ ही उन्होंने जस्टिस हेगड़े, जस्टिस मुखर्जी और जस्टिस सीकरी की टिप्पणियों का हवाला देते हुए कहा कि प्रस्तावना संविधान का दर्पण है और उसे उसी प्रकाश में देखा जाना चाहिए।
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