सांता एना हवाएं : कैसे ये कैलिफोर्निया में आग को भड़काती हैं?
अमेरिका : कैलिफोर्निया के लॉस एंजिलिस के जंगलों में लगी भीषण आग अब शहर तक पहुंच गई है, जिससे 4,856 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ है। हजारों इमारतें जलकर खाक हो गई हैं, और आग पर काबू पाने के लिए 2,000 से ज्यादा फायरफाइटर्स लगातार प्रयास कर रहे हैं। लेकिन इस आग को और भी खतरनाक बना रही हैं सांता एना हवाएं, जिन्हें ‘शैतानी हवाएं’ भी कहा जाता है।
लॉस एंजिलिस शहर पहाड़ों के बीच बसा है, जहां चीड़ के जंगल हैं। इन सूखे पेड़ों में आग लगने से आग की शुरुआत हुई। सांता एना हवाएं जो तेज़, गर्म और सूखी होती हैं, आग को और भड़काती हैं। ये हवाएं 160 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चल रही हैं और जंगलों से लेकर रिहायशी इलाकों तक फैल रही हैं। इन हवाओं का असर इतना ज्यादा है कि हजारों लोग इलाके को छोड़ चुके हैं और 1.30 लाख लोगों को तत्काल इलाका खाली करने का आदेश दिया गया है।

सांता एना हवाएं क्या हैं और कैसे बनती हैं?
सांता एना हवाएं तब बनती हैं जब पश्चिमी अमेरिका के रेगिस्तानी क्षेत्र ग्रेट बेसिन में उच्च दबाव बनता है। ये हवा जब नीचे गिरती है तो अपनी नमी खो देती है और दक्षिणी कैलिफोर्निया की ओर बहने लगती है। रास्ते में ये पहाड़ों से गुजरते हुए और भी तेज़, गर्म और सूखी हो जाती हैं। इसके परिणामस्वरूप हवा में नमी का स्तर बहुत कम हो जाता है, जिससे पेड़-पौधे जलने के लिए तैयार हो जाते हैं। इन हवाओं की तेज़ रफ्तार किसी भी छोटी चिंगारी को बड़े जंगल की आग में बदल सकती है।
क्या इन हवाओं को रोका जा सकता है?
सांता एना हवाओं को रोक पाना नामुमकिन है, क्योंकि ये अक्टूबर से मार्च के बीच अपने चरम पर होती हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन और वैश्विक गर्मी के कारण इन हवाओं की खतरनाकता बढ़ती जा रही है, जिससे आग लगने के मामले भी अधिक हो रहे हैं।

सांता एना हवाओं का खतरनाक इतिहास
सांता एना हवाओं का इतिहास कैलिफोर्निया की विनाशकारी आगों से जुड़ा हुआ है। 2018 में वूल्सी फायर के दौरान तीन लोगों की मौत हुई और 1,600 से ज्यादा इमारतें तबाह हो गईं। इससे पहले 2008 में सायर के जंगलों में आग ने 600 से ज्यादा इमारतों को राख कर दिया था। इसके अलावा, 1961 की कैलिफोर्निया की सबसे बड़ी आग को भी सांता एना हवाओं ने ही भड़काया था।

सांता एना हवाओं का यह खतरनाक प्रभाव न केवल आग को फैलाने में मदद करता है, बल्कि यह इंसानों की मानसिक स्थिति को भी प्रभावित करता है, जिससे लोग चिड़चिड़े और असहज महसूस करते हैं।
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