
साय सरकार ने CBI को सौंपा ये केस : जानिए क्या है पूरा मामला
रायपुर। साय सरकार ने CBI को सौंपा ये केस : छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय की सरकार ने एक और मामला जांच के लिए CBI को सौंप दिया है। राज्य सरकार ने EOW – ACB में दर्ज़ FIR क्रमांक – 49 – 2024 को CBI को सौंप दिया है। इसकी जांच के लिए राज्य सरकार ने सीबीआई को सहमति जारी कर दी है।
साय सरकार ने CBI को सौंपा ये केस : क्या है पूरा मामला
अफसरों के अनुसार यह मामला शराब घोटाला से जुड़ा हुआ है। बता दें कि नवंबर में ही राज्य सरकार ने इस मामले को सीबीआई को सौंपने का फैसला किया था। इसके बाद से ही प्रक्रिया चल रही थी। सीबीआई की सहमति मिलने के बाद अब केस सौंपने जाने और उसकी जांच के लिए सीबीआई को अधिकृत करने के संबंध में नोटिफिकेशन जारी किया गया है।
दरअसल, शराब घोटाले को लेकर ACB और EOW ने अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा, अनवर ढेबर, विधु गुप्ता, निरंजन दास और एपी त्रिपाठी के खिलाफ FIR दर्ज की है। अपने खिलाफ की गई FIR को निरस्त करने की मांग को लेकर सभी आरोपियों ने हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिका दायर की थी। बीते 10 जुलाई को सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिस पर आज मंगलवार को फैसला आया है।
छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला क्या है इसे जानें
छत्तीसगढ़ शराब घोटाले मामले में ED जांच कर रही है। ED ने ACB में FIR दर्ज कराई है। दर्ज FIR में 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले की बात कही गई है। ED ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में IAS अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी AP त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के अवैध सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था।
ED द्वारा दर्ज कराई गई FIR की जांच ACB कर रही है। ACB से मिली जानकारी के अनुसार साल 2019 से 2022 तक सरकारी शराब दुकानों से अवैध शराब डुप्लीकेट होलोग्राम लगाकर बेची गई थी, जिससे शासन को करोड़ों के राजस्व का नुक़सान हुआ है।
ढेबर-त्रिपाठी से पूछताछ में सामने आए थे कंपनियों के नाम
यूपी STF की पूछताछ में अनवर ढेबर और एपी त्रिपाठी ने बताया है कि इस घोटाले की सबसे बड़ी बेनिफिशियरी डिस्टलरी कंपनियां (शराब निर्माता कंपनियां) थीं। दोनों आरोपियों ने यह भी बताया कि, नोएडा स्थित विधु की कंपनी मेसर्स प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड (PHSF) को होलोग्राम बनाने का टेंडर मिला था। उसी से डूप्लीकेट होलोग्राम बनाकर इन तीनों डिस्टलीरज को भेजा जाता था। वहां से अवैध शराब पर इन होलोग्राम को लगाया जाता था।