विवाद का कारण
सनातन रक्षक दल के प्रदेश अध्यक्ष अजय शर्मा का कहना है कि हिंदू मंदिरों में देवताओं के साथ किसी फकीर की मूर्ति का पूजन करने का कोई औचित्य नहीं है।
उन्होंने बताया कि इस मुहिम के तहत काशी खंड के मंदिरों से साईं बाबा की प्रतिमाएं हटाई जा रही हैं, और आगे भी इस जन जागरूकता अभियान को बढ़ाया जाएगा।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी (सपा) के एमएलसी ने इसे चुनावी स्टंट करार दिया है, आरोप लगाते हुए कहा कि यह काशी का माहौल खराब करने की कोशिश है।
केंद्रीय ब्राह्मण महासभा ने भी इस अभियान में सक्रिय भूमिका निभाई है और उन्होंने कहा कि वे शहर के सभी मंदिरों से साईं बाबा की मूर्तियां हटाने की योजना बना रहे हैं।
धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण
यह विवाद धार्मिक आस्था और पहचान से जुड़ा हुआ है, जहाँ कुछ लोग साईं बाबा को एक संत मानते हैं, जबकि अन्य उन्हें फकीर समझते हैं।
साईं बाबा की मूर्तियों को हटाने की मांग को लेकर कई धार्मिक संगठनों ने अपनी आवाज उठाई है, जिससे यह मामला और जटिल हो गया है।
निष्कर्ष
काशी में साईं बाबा की प्रतिमाओं को हटाने का यह विवाद न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण बन गया है। यह घटनाक्रम भारतीय समाज में आस्था, पहचान और धर्म के मुद्दों पर गहरी बहस को जन्म दे रहा है।
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