
Raipur News
रायपुर : छत्तीसगढ़ के शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयों से पोस्ट ग्रेजुएट (PG) डिग्री प्राप्त कर चुके सैकड़ों युवा विशेषज्ञ चिकित्सक आज भी शासकीय सेवा में योगदान के लिए प्रतीक्षारत हैं। परीक्षा उत्तीर्ण हुए 5–6 महीने बीत चुके हैं, लेकिन अब तक इन चिकित्सकों की बॉन्ड पोस्टिंग का आदेश जारी नहीं किया गया है। इससे न केवल चिकित्सकों की मानसिक, आर्थिक और सामाजिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, बल्कि छत्तीसगढ़ जैसे उदीयमान राज्य की स्वास्थ्य सेवाएं भी बाधित हो रही हैं।
डॉ. रेशम सिंह, अध्यक्ष – जुड़ा एसोसिएशन छत्तीसगढ़, ने बताया कि,
“हमारे स्टूडेंट अपने मेडिकल करियर के 13 से 15 वर्ष पूरी निष्ठा से पढ़ाई और सेवा में लगाए हैं। परीक्षा पास कर लेने के बाद भी महीनों तक अनिश्चितता में जीना, बिना काम के बैठे रहना और घरवालों की उम्मीदों का बोझ ढोना यह मानसिक यातना से कम नहीं। हम केवल सेवा करना चाहते हैं, लेकिन प्रणाली की जटिलताएं हमारी राह में रोड़ा बनी हुई हैं।” साथ ही उच्च शिक्षा अध्ययन हेतु बाधा बनती है
मुख्य माँगें:
1. बॉन्ड पोस्टिंग में देरी:
अन्य राज्यों जैसे मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, ओडिशा में परिणाम आते ही डॉक्टरों को तुरंत सेवा में शामिल कर लिया जाता है। लेकिन छत्तीसगढ़ में महीनों की देरी हो जाती है।
माँग: PG पास होते ही सवैतनिक कार्य आरंभ कराया जाए और विलंब की अवधि को भी सेवा काल में जोड़ा जाए।
2. बॉन्ड सेवा की अवधि कम हो:
MBBS के बाद 2 साल, PG के बाद फिर से 2 साल—इस व्यवस्था से डॉक्टरों का पूरा युवा जीवन बाधित हो जाता है।
माँग: PG के बाद की सेवा अनिवार्यता समाप्त हो या कम से कम 1 वर्ष तक सीमित की जाए।
3. बॉन्ड राशि में न्यायसंगत संशोधन:
वर्तमान ₹50 लाख की राशि एक अत्यधिक आर्थिक बोझ है, जबकि अन्य राज्यों में यह ₹5–10 लाख है। बॉन्ड अवधि में अगर विद्यार्थी उच्च अध्ययन हेतु सलेक्ट हो जाता है तो उसे 50 लाख का जमीन सरकार के नाम गिरवी रखना पड़ेगा तभी वह अच्छ अध्ययन हेतु जा सकता है अगर कोई विद्यार्थी गरीब घर से है तो वह मेरिट में सिलेक्शन होने के बावजूद उच्च अध्ययन हेतु नहीं जा सकता यह शिक्षा के अधिकार का हनन है ( आर्टिकल 21 का अवहेलना )
माँग: छत्तीसगढ़ में भी इसे यथोचित और व्यवहारिक स्तर पर लाया जाए।
4. वेतन विसंगति का समाधान:
PG में छात्रवृत्ति ₹75,000 प्रतिमाह थी, जबकि अब विशेषज्ञ डॉक्टर को पोस्टिंग पर मात्र ₹69,000 मिल रहा है।
माँग: न्यूनतम वेतन ₹90,000 निर्धारित किया जाए।
डॉ. रेशम सिंह ने यह भी कहा,
“हम स्वास्थ्य व्यवस्था का मजबूत स्तंभ बनना चाहते हैं। लेकिन हमारे चिकित्सकों की स्थिति यह है कि घर चलाने के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है, आत्म-सम्मान पर आघात हो रहा है, और राज्य की सेवा करने की इच्छा भी लगातार टूट रही है।”
अपील:
जुड़ा एसोसिएशन छत्तीसगढ़ राज्य सरकार से करबद्ध निवेदन करती है कि:
बॉन्ड आदेश शीघ्र जारी किए जाएं
सेवा की अवधि और राशि यथोचित संशोधित की जाए
विशेषज्ञ डॉक्टरों को उनके अनुभव के अनुरूप उचित वेतन और सम्मान मिले
यदि इन मांगों पर शीघ्र निर्णय नहीं लिया गया, तो आने वाले दिनों में सांकेतिक विरोध, जनमाध्यमों के माध्यम से अभियान, और न्यायिक विकल्पों पर भी विचार किया जा सकता है।
हम चुप नहीं बैठेंगे, क्योंकि हमारी चुप्पी छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य व्यवस्था को कमजोर करेगी।
हमारा संघर्ष व्यक्तिगत नहीं, बल्कि व्यवस्था में सुधार की पुकार है।