
पशु दीदी बनकर महिलाएं हो रहीं समृद्ध, परिवार को मिला सहारा
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पशु दीदी बनकर महिलाएं हो रहीं समृद्ध, परिवार को मिला सहारा
ग्रामीण महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। इन्हीं में से एक है पशु सखी योजना, जिसने महिलाओं के जीवन को सकारात्मक दिशा प्रदान की है। इस योजना के तहत महिलाएं न केवल आर्थिक रूप से समृद्ध हुई हैं, बल्कि उनके आत्मविश्वास में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
बिलासपुर में महिलाओं की बदलती तस्वीर
बिलासपुर जिले के 264 गांवों में बिहान योजना और पशु सखी योजना से जुड़कर महिलाएं अपने जीवन में बड़ा बदलाव ला रही हैं। अब तक 26,400 महिलाएं इन योजनाओं से लाभान्वित हो चुकी हैं। इनमें से कई महिलाएं लखपति दीदी बनकर गांव का गौरव बनी हैं।
महिलाओं का कहना है कि इन योजनाओं ने न केवल उन्हें आत्मनिर्भर बनाया है, बल्कि उनके आत्मसम्मान और आत्मविश्वास को भी बढ़ाया है। ये महिलाएं अब अपने परिवार के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं और गांव के समग्र विकास में योगदान दे रही हैं।
पशु पालन से सशक्तिकरण की ओर
पशु सखी योजना के अंतर्गत स्व-सहायता समूहों की महिलाएं पशु पालन और पशु व्यवसाय से जुड़कर आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रही हैं। इस योजना के तहत महिलाओं को पशुओं की देखभाल, उनसे होने वाली बीमारियों और उनके बचाव के तरीके सिखाए जाते हैं।
अधिकारियों के अनुसार, पशु पालन और उसके व्यवसाय से बेहतर आय अर्जित करने के तरीकों पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इन प्रोग्रामों के जरिए महिलाएं न केवल अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुधार रही हैं, बल्कि अपने गांव की उन्नति में भी योगदान दे रही हैं।
5,000 महिलाएं बनीं ‘लखपति दीदी’
अब तक लगभग 5,000 महिलाएं इस योजना के तहत लखपति दीदी बन चुकी हैं। ये महिलाएं गांव में न केवल आर्थिक सशक्तिकरण का उदाहरण बन रही हैं, बल्कि अन्य महिलाओं को प्रेरित भी कर रही हैं।
इस प्रकार, पशु सखी योजना और बिहान योजना ने ग्रामीण महिलाओं के जीवन में एक नई रोशनी लेकर आई है। यह पहल न केवल महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान कर रही है।
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