
Parliament Session
लोकसभा चुनाव के बाद संसद का प्रथम सत्र शुरू हो गया है| नवनिर्वाचित लोकसभा सदस्यों के शपथ ग्रहण और स्पीकर के चुनाव के पश्चात राष्ट्रपति द्रौपदी ने आज संसद के दोनों सदनों को संयुक्त रूप से संबोधित किया | इन सबके बीच संसद भवन में स्थापित सेंगोल को लेकर एक बार फिर से सियासत शुरू हो चुकी है ,जहां विपक्ष से समाजवादी पार्टी में सेंगोल को राजशाही का प्रतीक बताते हुए उसे हटाकर संविधान स्थापित करने की मांग की है वहीं राजद और कांग्रेस ने इसका खुलकर समर्थन भी किया |
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क्या कहा समाजवादी पार्टी ने
समाजवादी पार्टी के सांसद आर चौधरी ने कहा कि हमारे लिए संविधान सबसे महत्वपूर्ण है, लोकतंत्र का प्रतीक है| अपने पिछले कार्यकाल में मोदी जी के नेतृत्व में बीजेपी सरकार ने संसद में सेंगोल स्थापित किया, सेंगोल का अर्थ है “राज दंड” अर्थात राजा का दंड ,रियासत की व्यवस्था को खत्म करके जब देश आजाद हुआ है फिर इस देश में राजा के डंडे का क्या काम, देश राजा के डंडे से चलेगा या संविधान से ? मैं मांग करता हूं कि संविधान को बचाने के लिए संसद से सिंगल को हटाया जाना चाहिए |
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बीजेपी ने शुरू किया पलटवार विपक्ष के संगोल पर सियासत पर बीजेपी के लोकसभा सांसद खगेन मुर्मू ने कहा “इन लोगों को कोई दूसरा काम नहीं है इन्होंने संविधान के बारे में गुमराह किया है यह लोग संविधान को मानते ही नहीं मोदी जी संविधान का बहुत सम्मान देते हैं” तो वही बीजेपी सांसद महेश जेठमलानी ने कहा कि सेंगोल राष्ट्र का प्रतीक है सेंगोल को स्थापित किया गया था तो उसको अब नहीं हटा सकते |
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क्या है सेंगोल का इतिहास
सेंगोल का इतिहास भारत की आजादी से जुड़ा हुआ है | संसद में स्थापित सेंगोल को वर्ष 1947 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर सौपा गया था | वही प्राचीन इतिहास पर नजर डाले तो सेंगोल के सूत्र चोल शासन से जुड़े हुए मिलते हैं जहां सत्ता का उत्तराधिकारी सत्ताहस्तरण के समय ,पूर्व राजा नए राजा को सेंगोल सौपता है |