
Pandi Ram Mandavi
Pandi Ram Mandavi: नई दिल्ली। राष्ट्रपति भवन के भव्य दरबार हॉल में मंगलवार को आयोजित एक विशेष समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पंडी राम मंडावी को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया। 68 वर्षीय मंडावी छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के निवासी हैं और वे पारंपरिक वाद्ययंत्र निर्माण और लकड़ी शिल्पकला में अपने उत्कृष्ट योगदान के लिए इस प्रतिष्ठित सम्मान के पात्र बने हैं।
Pandi Ram Mandavi: गोंड-मुरिया परंपरा के सच्चे वाहक
गोंड मुरिया जनजाति से ताल्लुक रखने वाले मंडावी ने महज 12 से 16 वर्ष की उम्र में अपने पूर्वजों से यह विरासत में मिली कला सीखी थी। आज वे बस्तर की सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण और संवर्धन में एक प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। उनकी बनाई बस्तर बांसुरी (जिसे ‘सुलुर’ कहा जाता है), पारंपरिक वाद्ययंत्रों और लकड़ी पर नक्काशी किए गए शिल्पों ने बस्तर की लोककला को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है।
Pandi Ram Mandavi: कला के जरिए बस्तर की आत्मा को जीवित रखा
पंडी राम मंडावी की हस्तशिल्प मूर्तियां, चित्रकारी और लकड़ी पर उकेरी गई कलाकृतियां न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी प्रदर्शित और प्रशंसित हुई हैं। उन्होंने बस्तर की समृद्ध लोकपरंपरा को आधुनिक दुनिया से जोड़ा, जिससे यह विरासत अगली पीढ़ियों तक सुरक्षित पहुँच सके।
Pandi Ram Mandavi: छत्तीसगढ़ को मिला गर्व का क्षण
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने मंडावी को बधाई देते हुए इस उपलब्धि को राज्य के लिए गर्व का विषय बताया। उन्होंने कहा कि मंडावी जैसे कलाकारों की बदौलत ही राज्य की जनजातीय संस्कृति और परंपरागत कला को नई ऊंचाइयां मिल रही हैं।
Pandi Ram Mandavi: गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर घोषित हुए थे नाम
गौरतलब है कि इस वर्ष गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर 139 हस्तियों को पद्म पुरस्कारों के लिए चुना गया था। राष्ट्रपति भवन में आयोजित इस समारोह के पहले चरण में 71 व्यक्तियों को सम्मानित किया गया। दूसरे चरण में 68 अन्य पुरस्कार विजेताओं को अगले महीने सम्मानित किया जाएगा। इस सम्मान समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, गृह मंत्री अमित शाह समेत कई प्रमुख गणमान्य अतिथि मौजूद रहे।