
NISAR SATELLITE LAUNCH
NISAR SATELLITE LAUNCH : हैदराबाद/श्रीहरिकोटा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने मिलकर एक अभूतपूर्व मिशन को अंजाम दिया है। NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar (NISAR) सैटेलाइट को आज शाम 5:40 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से GSLV-F16 रॉकेट के जरिए सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। यह मिशन भारत और अमेरिका के बीच अंतरिक्ष सहयोग में एक नया मील का पत्थर है।
निसार सैटेलाइट की विशेषताएं
2,392 किलोग्राम वजनी निसार सैटेलाइट को 743 किलोमीटर की ऊंचाई पर सूर्य-समकालिक ध्रुवीय कक्षा (Sun-synchronous Polar Orbit) में स्थापित किया गया है। यह सैटेलाइट हर 12 दिन में पृथ्वी की सतह और बर्फ से ढके क्षेत्रों को दो बार स्कैन करेगा, जो हर 97 मिनट में पृथ्वी की परिक्रमा पूरी करेगा। निसार दुनिया का पहला सैटेलाइट है जो दोहरे रडार सिस्टम (NASA का L-बैंड और ISRO का S-बैंड) से लैस है। यह सैटेलाइट 12 मीटर व्यास के एक बड़े एंटीना के साथ SweepSAR तकनीक का उपयोग करता है, जो सेंटीमीटर स्तर की सतह हलचल, नमी, और बनावट को मापने में सक्षम है। यह बादल, धुंध, या बारिश में भी दिन-रात कार्य कर सकता है।
GSLV-F16/NISAR
Liftoff
And we have liftoff! GSLV-F16 has successfully launched with NISAR onboard.Livestreaming Link: https://t.co/flWew2LhgQ
For more information:https://t.co/XkS3v3M32u #NISAR #GSLVF16 #ISRO #NASA
— ISRO (@isro) July 30, 2025
मिशन के उद्देश्य
निसार सैटेलाइट का मुख्य उद्देश्य पृथ्वी की सतह पर होने वाले बदलावों की बारीकी से निगरानी करना है। इसके प्रमुख कार्यों में शामिल हैं:
प्राकृतिक आपदा प्रबंधन: भूकंप, सूनामी, भूस्खलन, और ज्वालामुखी गतिविधियों की निगरानी, जिससे आपदा प्रबंधन और राहत कार्यों में सहायता मिलेगी।
कृषि और जल प्रबंधन: फसलों की स्थिति, मिट्टी की नमी, और जल संसाधनों की निगरानी, जिससे बेहतर कृषि और सिंचाई निर्णय लिए जा सकेंगे।
जलवायु परिवर्तन: ग्लेशियर पिघलने, समुद्री बर्फ, और वनस्पति परिवर्तनों का अध्ययन, जो जलवायु मॉडल के लिए महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करेगा।
बुनियादी ढांचा निगरानी: सड़कों, पुलों, और शहरी क्षेत्रों में भू-धंसान की निगरानी, जिससे संरचनात्मक जोखिमों को कम किया जा सकेगा।
डेटा की उपलब्धता
निसार मिशन की खास बात यह है कि इसका डेटा पूरी तरह से ओपन-सोर्स होगा और 24-48 घंटों में वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय के लिए उपलब्ध होगा। आपातकालीन स्थितियों में यह डेटा लगभग रीयल-टाइम में प्रदान किया जाएगा। यह नीति विशेष रूप से विकासशील देशों के लिए लाभकारी होगी, जिनके पास उन्नत पृथ्वी अवलोकन प्रणालियों तक पहुंच सीमित है।
ISRO और NASA का सहयोग
ISRO के चेयरमैन वी. नारायणन ने लॉन्च की सफलता की पुष्टि करते हुए कहा, “GSLV-F16 ने निसार सैटेलाइट को सटीक कक्षा में स्थापित किया है। यह मिशन ISRO और NASA के बीच दशकों के सहयोग का परिणाम है।” उन्होंने NASA की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (JPL) और ISRO की टीमों को उनके योगदान के लिए धन्यवाद दिया। नारायणन ने यह भी कहा कि यह मिशन न केवल भारत और अमेरिका के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करेगा।
तकनीकी उपलब्धियां
ISRO का योगदान: S-बैंड रडार, सैटेलाइट ढांचा, डेटा सिस्टम, और GSLV-F16 लॉन्च व्हीकल।
NASA का योगदान: L-बैंड रडार, GPS रिसीवर, सॉलिड-स्टेट रिकॉर्डर, और 12 मीटर का रिफ्लेक्टर एंटीना।
मिशन अवधि: NASA के लिए न्यूनतम 3 वर्ष और ISRO के लिए 5 वर्ष।
डेटा उत्पादन: प्रतिदिन 80 टेराबाइट डेटा उत्पन्न करने की क्षमता।
ऐतिहासिक मील का पत्थर
यह पहली बार है जब GSLV रॉकेट ने सूर्य-समकालिक ध्रुवीय कक्षा में सैटेलाइट स्थापित किया है, जो सामान्यतः PSLV रॉकेट का कार्यक्षेत्र रहा है। यह ISRO की 102वीं लॉन्च मिशन और GSLV की 18वीं उड़ान थी। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने इसे भारत की वैज्ञानिक नेतृत्व क्षमता का प्रतीक बताया और कहा कि निसार का डेटा वैश्विक समुदाय के लिए ‘विश्वबंधु’ की भावना को दर्शाता है।
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