
Nimisha Priya
Nimisha Priya : नई दिल्ली/पलक्कड़। केरल की रहने वाली नर्स निमिषा प्रिया की जिंदगी इन दिनों यमन की एक जेल में ठहरी हुई है। उस पर यमन के एक नागरिक की हत्या का आरोप है और अब 16 जुलाई को उसे फांसी की सजा सुनाई गई है। भारत सरकार और कई मानवाधिकार कार्यकर्ता लंबे समय से उसे बचाने के प्रयास में जुटे हैं, लेकिन अब तक ब्लड मनी (मुआवजा) को लेकर कोई समझौता नहीं हो पाया है।
Nimisha Priya : कौन हैं निमिषा प्रिया?
निमिषा प्रिया, केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली हैं और पेशे से नर्स हैं। उन्होंने 2011 में नर्सिंग कोर्स पूरा किया और एक बेहतर जीवन की तलाश में यमन चली गईं। शुरुआत में उन्होंने विभिन्न अस्पतालों में काम किया और फिर खुद का क्लिनिक खोलने का सपना देखा।
Nimisha Priya : यमन में क्लिनिक खोलने की कोशिश और नया रिश्ता
यमन के कानूनों के अनुसार, विदेशी नागरिक अकेले व्यापार नहीं कर सकते। इसी कारण उन्होंने तलाल अब्दो महदी नामक यमनी नागरिक को अपना बिजनेस पार्टनर बनाया। लेकिन जल्द ही उनके संबंध बिगड़ गए। निमिषा ने आरोप लगाया कि तलाल ने शारीरिक और मानसिक शोषण किया, और उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया, जिससे वह यमन से बाहर न जा सकें।
Nimisha Priya : हत्या का आरोप और गिरफ्तारी
वर्ष 2017 में तलाल की हत्या हो गई, जिसके बाद निमिषा प्रिया को गिरफ्तार कर लिया गया। यमन की अदालत ने उन्हें दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई। निमिषा का दावा है कि उसने यह कदम आत्मरक्षा में उठाया था, लेकिन यमनी कानून में इसकी मान्यता सीमित है।
ब्लड मनी पर अटका जीवन
यमन के कानूनों में, ब्लड मनी (मृतक के परिवार को मुआवजा देकर सजा से राहत) का प्रावधान है। मानवाधिकार कार्यकर्ता सैमुअल जेरोम के मुताबिक, मृतक के परिवार से बातचीत चल रही थी, लेकिन अब तक कोई सहमति नहीं बन सकी। बताया गया है कि 10 लाख डॉलर की पेशकश की गई थी, जिसे एक स्पॉन्सर के माध्यम से इकट्ठा किया गया, लेकिन परिवार की ओर से कोई जवाब नहीं आया।
Nimisha Priya : भारत सरकार की कोशिशें
भारत सरकार इस मामले में कूटनीतिक माध्यमों से हस्तक्षेप कर रही है। विदेश मंत्रालय, यमन सरकार के साथ राजनयिक संपर्क में है और फांसी टालने के लिए अंतिम प्रयास जारी हैं। सूत्रों का कहना है कि सभी विकल्प अभी भी खुले हैं, लेकिन समय बहुत कम बचा है।
Nimisha Priya : मानवाधिकार संगठनों की अपील
देश और विदेश में कई मानवाधिकार संगठनों ने निमिषा की सजा को टालने और पुनर्विचार की अपील की है। उनका कहना है कि निमिषा को परिस्थितियों के आधार पर न्याय मिलना चाहिए, और यदि मुआवजा स्वीकार नहीं भी किया जाता, तो फांसी के बजाय अन्य सजा पर विचार किया जाना चाहिए।