
New Education Policy
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रायपुर । छत्तीसगढ़ में नया शैक्षणिक सत्र शुरू होने जा रहा है, ऐसे सवाल यह है कि इस नए सत्र में क्या कुछ बदला है और क्या कुछ बदलेगा, क्या स्कूल के हालात बदलेंगे और क्या किताबें भी बदलेंगी, क्या सुविधाओं का विस्तार होगा, नई शिक्षा नीति क्या रंग लाएगी, क्या शिक्षक नई तैयारी के साथ पढ़ायेंगे, क्या शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ेगी..इसी को लेकर एशियन न्यूज़ के खास कार्यक्रम संतुलन का समीकरण में “नया शैक्षणिक सत्र, कितना नया कितना पुराना” विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। जहां अलग अलग क्षेत्र के लोगों ने प्रमुखता से अपनी बात रखी। इसमें जिसमें स्कूल के शिक्षक, प्राचार्य, कालेज के प्रोफेसर, रिसर्चर, छात्र नेता और सोशल एक्टिविस्ट शामिल हुए और अपने विचार साझा किए।
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इस अवसर पर एशियन न्यूज़ के प्रधान संपादक सुभाष मिश्रा ने कहा कि दरअसल “नया शैक्षणिक सत्र कितना नया कितना पुराना” इस विषय पर बात करने का मकसद ये है इस बार स्कूल कुछ दिनों बाद खोले जा रहे हैं तो स्कूलों में किस तरीके से तैयारी की गई है इस बार सरकार ने जिस तरीके से गर्मी को देखते हुए कहा कि 25 जून से स्कूल खुलेंगे लेकिन दूसरी बात यह है कि जब स्कूल बंद थे उसे समय जो स्कूलों में समस्या थी उसका निदान किया गया की नहीं? या फिर जो टीचर पिछले सत्र में पढ़ा रहे थे उनमें कोई बदलाव हुआ है स्कूल के इंफ्रास्ट्रक्चर में किसी तरीके से बदलाव किया गया है इन सभी मुद्दों पर ही आज का यह परिचर्चा रखा गया है उन्होंने कहा कि इस नए क्षेत्र में अगर हमसे पूछा जाए कि क्या नया होना चाहिए तो मैं यह कहूंगा कि सबसे पहले बच्चों के ड्रॉप आउट कम हो, छात्रों को समान रूप से शिक्षा मिले वहीं नई शिक्षा नीति के तहत जो स्कूलों के लिए प्रावधान है उसे पूर्ण रूप से लागू किया जाए। छात्रों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा मिले।
राष्ट्रपति अवॉर्डी ममता आहार ने कहा कि एफएलएन (फंडामेंटल लिटरेसी एंड न्यूमैरेसी) के तहत जो प्रशिक्षण दिया जा रहा है उसमें संख्या ज्ञान साक्षरता बुनियादी जो शिक्षा है उसे पर ध्यान दिया जा रहा है इसमें पिछले साल ट्रेनिंग नहीं हो पाई थी। इसमें पुस्तक तो थी लेकिन पर्याप्त रूप से ट्रेनिंग ना होने के कारण कारण बच्चों को शिक्षा नहीं दिया गया था। लेकिन इस बार शासन के आदेश के बाद गर्मी के छुट्टी में सभी शिक्षकों को एफएलएन की प्रशिक्षण दिया गया ताकि आने वाले इसी सत्र में प्रशिक्षण हासिल करके शिक्षक छात्रों को पढ़ सके। उन्होंने बताया कि पहले केवल पाठ पुस्तक होती थी लेकिन अभी पाठ्य पुस्तक भी है शिक्षक संदर्भिका भी है और अभ्यास पुस्तिका भी है तो यह तीन चीजों को मिलाकर बच्चों को पढाना है और सिखाना है
उन्होंने कहा की नई शिक्षा नीति के तहत 5+3+3+4 की विद्यालय शिक्षा की संरचना अत्यंत तर्कसंगत तथा भारत की वर्तमान तथा भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप है. साथ ही विज्ञान, वाणिज्य, कला, खेल आदि का भेद मिटाकर क्रेडिट पद्धति के माध्यम से मूल्यांकन व्यवस्था लागू करना अत्यंत प्रभावशाली कदम है. इसी के साथ व्यावसायिक तथा कौशल आधारित विषयो को विद्यालयी शिक्षा से ही प्रारंभ कर विद्यार्थी को कम से कम किसी एक कौशल में निपुण बनाने का प्रावधान आत्मनिर्भर भारत के स्वप्न को साकार करने का महत्वपूर्ण माध्यम बनेगा.
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राजकुमार कालेज के रिटायर्ड प्रोफेसर संजय मिश्रा ने कहा कि अगर ओवर ऑल देखें तो नई शिक्षा नीति के तहत बहुत कुछ बदलाव नहीं हो पाया है। लेकिन इस नीति के तहत बहुत कुछ बदला है। वहीं इस दौर में जिस तरीके से भाषा पर जोर दिया वह कहीं ना कहीं काबिले तारीफ है। जिस तरीके से मातृभाषा पर जोड़ दिया जा रहा है वह आगे चलकर छात्रों को फायदा मिलेगा।
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एक्टिविस्ट अजय त्रिपाठी ने कहा कि देश सहित छत्तीसगढ़ प्रदेश में नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षा ने कई सुधार हुए हैं जिसके तहत साल में दो बार परीक्षा होगी। अब छात्रों को दो बार परीक्षा में बैठने का मौका मिलेगा जो हर साल लाखों छात्र फेल होते थे उनको फिर से अच्छे नंबर हासिल कर और मुख्य परीक्षा का सर्टिफिकेट मिल पाएगा। अब छात्रों को सप्लीमेंट्री देने की जरूरत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इसके इतर आज शिक्षा का व्यवसायिकरण हो रहा है जिस तरीके से छात्रों से शिक्षा के नाम पर मोटे रकम वसूले जा रहे हैं वहीं शिक्षक भर्ती में भी धांधली हो रही है इसे रोकना बहुत जरूरी है।
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समाज सेवी अजीत उपाध्याय ने कहा कि जिस तरह भारत देश की जनसंख्या है उसके हिसाब से स्कूलों की संख्या अभी बहुत कम है। ऐसे में अगर हम प्राइवेट स्कूल को बंद कर दें तो स्कूल की मारामारी हो जाएगी, तो इसे बंद नहीं कर सकते हैं लेकिन जो स्कूल खोलने का पैरामीटर होता है यह जांच का विषय है दूसरी और यह देखा जा रहा है कि शिक्षा का व्यवसायिकरण हो रहा है एक बार जो स्कूल अच्छा चल गया वह लगातार सेक्शन वाइज छात्रों की संख्या बढ़ाते चला जाता है क्योंकि स्कूल के इंफ्रास्ट्रक्चर वही रहता है लेकिन सेक्शन वाइज क्लास चलाने से कहीं न कहीं छात्रों की संख्या बढ़ जाता है। इसमें अभिभावक को भी जागरूक होना चाहिए उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत कई चीजों में बदलाव हुई है इसमें प्रशासन को भी सचेत होना पड़ेगा और समय-समय पर इस पर लगाम कसने की आवश्यकता है
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एनएसयूआई के कार्यकर्ता अनुज शुक्ला ने कहा छत्तीसगढ़ में नए क्षेत्र में कई बदलाव होने चाहिए जिन स्कूलों के इंफ्रास्ट्रक्चर जर्जर हो चुकी है उसको फिर से सुधर जाए वहीं शिक्षकों की कमी दूर की जाए नए क्षेत्र में छात्रों को सही तरीके से शिक्षा मिले। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में जिस तरह से रोजगार परक शिक्षा देना है उसकी प्रमुखता से दी जाए।
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कृषि वैज्ञानिक कृष्ण कुमार साहू ने कहा कि वर्तमान में शिक्षा पर बात करना जरूरी हो गया है क्योंकि अभी हम देख रहे हैं कि शिक्षा में बदलाव तो हो रहे हैं लेकिन जिस तरीके से छात्रों को लाभ मिलना चाहिए वह नहीं मिल पा रहा है उन्होंने कहा कि उदाहरण के तौर पर विद्यालयों में शिक्षा के साथ प्रेक्टिकल होना जरूरी है इसके लिए छात्रों को धरातल पर उतरना होगा।
सुजीत सुमेर ने कहा की एनईपी 2020 में जिस प्रकार से शिक्षा में बदलाव की जा रही है जो सही है लेकिन जिस प्रकार से छात्रों को शिक्षा मिलना चाहिए वह नहीं मिल पा रहा है।
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