Navika Sagar Parikrama II: भारत की महिला नौसेना अधिकारियों ने INSV तरिणी के माध्यम से प्वॉइंट नीमो को सफलतापूर्वक पार किया, जो समुद्र का सबसे दूर और चुनौतीपूर्ण स्थान माना जाता है. यह उपलब्धि नविका सागर परिक्रमा II के तीसरे चरण का हिस्सा है, जिसका नेतृत्व लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के. और लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए. ने किया. प्वॉइंट नीमो को ‘स्पेसक्राफ्ट का कब्रिस्तान’ भी कहा जाता है, क्योंकि यहां अंतरिक्ष एजेंसियां अपने निष्क्रिय उपग्रहों और अंतरिक्ष स्टेशनों को पृथ्वी के वायुमंडल में फिर से प्रवेश कराने के लिए भेजती हैं ताकि वे समुद्र में गिरकर किसी मानव बस्ती को नुकसान न पहुंचाएं.
INSV तरिणी की इस ऐतिहासिक यात्रा का मार्ग न्यूजीलैंड के लिटिलटन से फॉकलैंड द्वीप समूह के पोर्ट स्टैनली तक था. प्वॉइंट नीमो को महासागर का पोल भी कहा जाता है, क्योंकि यह समुद्र का सबसे दूर बिंदु है और पृथ्वी के सबसे अज्ञात स्थानों में से एक है. यह स्थान समुद्र के बीच स्थित है और किसी भी किनारे से करीब 2,688 किलोमीटर दूर है.
Navika Sagar Parikrama II: INSV तरिणी ने प्वॉइंट नीमो को पार करना एक बड़ा चुनौतीपूर्ण कार्य था. यह अभियान पूरी तरह से नौकायन द्वारा किया गया था, जिसमें किसी सहायक शक्ति का उपयोग नहीं किया गया. इस उपलब्धि से नौसेना अधिकारियों की समुद्री दक्षता और क्षमता का प्रमाण मिलता है. इस यात्रा के दौरान अधिकारियों ने प्वॉइंट नीमो से समुद्र के पानी के नमूने भी एकत्र किए हैं, जिनका विश्लेषण राष्ट्रीय महासागर विज्ञान संस्थान द्वारा किया जाएगा. इन नमूनों से समुद्री जैव विविधता और पानी की रासायनिक संरचना के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की जाएगी.
नविका सागर परिक्रमा II भारतीय नौसेना के वैज्ञानिक अनुसंधान और सहयोग के प्रयासों का प्रतीक है. यह अभियान भारतीय महिला अधिकारियों के साहस और समर्पण को दर्शाता है, जिन्होंने समुद्र की कठिन और खतरनाक परिस्थितियों का सामना करते हुए इस महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया. अब यह टीम अपने अगले लक्ष्य की ओर बढ़ेगी, जो इस मिशन के उद्देश्य को आगे बढ़ाएगा और भारतीय नौसेना की वैज्ञानिक यात्रा में नई दिशाओं की खोज करेगा.
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