![Narayanpur Special Story : विलुप्त होती आदिवासी संस्कृति.......](https://i0.wp.com/asiannewsbharat.com/wp-content/uploads/2025/02/63.jpg?fit=800%2C467&ssl=1)
Narayanpur Special Story : विलुप्त होती आदिवासी संस्कृति.......
नारायणपुर: Narayanpur Special Story : हजारों साल पुरानी परंपरा कुछ ही जगह में आज भी मानी जाती है नारायणपुर जिला आदिवासी बाहुल्य जिला होने के कारण यहां की संस्कृति आज भी हजारों साल पुरानी लगती है देवी देवताओं पर विश्वास करना देवी देवताओं के लिए काम करना एक अलग तरह का पहचान है।
Narayanpur Special Story : विश्व प्रसिद्ध मावली मेला में देवी देवताओं को शामिल होने की अनुमति के लिए होता है जात्रा जात्रा एक प्राचीन सभ्यता है जिसके माध्यम से देवताओं का मिलन होता है जहां पर देवी देवताओं को अनुमति मिलती है,
देवी देवता देते हैं परीक्षा।
जात्रा में पूजा अर्चना के साथ देवताओं की परीक्षा ली जाती है जहां देवताओं की संख्या सैकड़ो होती है अलग-अलग जात समाज में पूजे जाने वाले देवी देवताओं का एक जगह में मिलन होता है सभी देवताओं का एक दूसरे से पारिवारिक संबंध होता है । बस उन पारिवारिक देवी देवताओं को मानने वाले अलग-अलग जात समाज से होते है।
पुरानी कथा और पूर्वजों की कही बात आदिवासियों में चली आ रही परंपरा के अनुसार मावली माता जिसके नाम से नारायणपुर में विश्व प्रसिद्ध मावली मेला होता है। मावली माता के सात पुत्रियां हैं जिसमें राजराजेश्वरी राजमाता के दरबार में होता है कोकोडी जात्रा
जहां 49 गांव से देवी देवताओं को निमंत्रण दिया जाता है और उसके बाद ही मावली मेला में परिक्रमा लगाने का अनुमति होती है
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