यूं तो चिराग तले अंधेरा होने की बात आपने सही सुनी होगी पर मुख्तार अंसारी इसका सबसे बड़ा उदाहरण भी है मुख्तार अंसारी के परिवार में जहां उसके दादा मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता सेनानी थे और नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को 1947 की लड़ाई में शहादत मिली तथा बाद में भारत सरकार ने महावीर चक्र से सम्मानित भी किया जबकि मुख्तार के पिता गाजीपुर की राजनीति में सक्रिय रहे वे साफ सुथरी छवि के थे और इसके साथ ही भारत के पूर्व राष्ट्रपति हामिद अंसारी मुख्तार के चाचा लगते हैं
ऐसे रखा अपराध की दुनिया में पहला कदम
मुख्तार अंसारी पर 61 से भी अधिक आपराधिक मामले दर्ज है जिनमे 15 हत्या के मामले भी शामिल हैं 80 के दौर में जब पूर्वांचल में विकास के कार्य हो रहे थे तब वहां के लोकल गैंगस में ठेके की होड़ मची हुई थी उसे वक्त मुख्तार मखानु सिंह गैंग का सदस्य था।
90 के दशक में बनाया खुद का गैंग
1990 आते-आते मुख्तार ने खुद का गैंग बना लिया जिसमें वह कोयला खनन रेलवे मैं टेंडर जैसे कामों को करता था जिसमें उसने 100 करोड़ का कारोबार खड़ा कर लिया फिर उसकी गैंग के द्वारा गुंडा टैक्स जबरन वसूली और अपहरण के धंधे के ही शुरुआत की गई उसकी गैंग मुकता मऊ गाजीपुर बनारस और जौनपुर में एक्टिव था जिसके चलते पूर्वांचल में बृजेश सिंह गैंग के साथ उसकी दुश्मनी साफ दिखाई देने लगी।
जेल में रहते हुए कराई हत्या
2002 में बृजेश सिंह ने जब मुख्तार अंसारी पर हमला करवाया जिसमें मुख्तार के तीन मुर्गे मारे गए थे इस घटना में बृजेश सिंह भी घायल हो गया था 2005 में बीजेपी के एमएलए कृष्णानंद राय की भी हत्या कर दी गई इस हमले में कृष्णानंद के साथ 6 लोग भी मारे गए थे इस हमले को एक-47 के द्वारा अंजाम दिया गया था जिसमें करीब 400 राउंड फायरिंग हुई थी | कृष्णानंद राय के शरीर से 67 कारतूस बरामद हुए थे जानकारी के अनुसार कृष्णानंद राय की हत्या 2002 में मुख्तार अंसारी के विधानसभा चुनाव हारने के कारण हुई थी
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