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MP News : भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की उपस्थिति में आज 4 अगस्त को भोपाल में दो महत्वपूर्ण एमओयू पर हस्ताक्षर होंगे, जो मध्य प्रदेश में सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे। इसके साथ ही, मुख्यमंत्री ‘माटी गणेश-सिद्ध गणेश’ अभियान का शुभारंभ करेंगे, जिसका लक्ष्य पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए घर-घर मिट्टी के गणेश की स्थापना को प्रोत्साहित करना है।
MP News : पहला त्रिपक्षीय एमओयू, आनंद ग्रामों का विकास-
पहला एमओयू जनअभियान परिषद, दीनदयाल शोध संस्थान और राज्य आनंद संस्थान के बीच त्रिपक्षीय समझौता होगा। इस एमओयू का उद्देश्य आपसी प्रशिक्षण के माध्यम से आनंद ग्रामों का विकास करना और संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) पर आधारित ग्राम विकास की अवधारणा को लागू करना है। यह समझौता ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक विकास, शिक्षा और खुशहाली को बढ़ावा देने के लिए एक समन्वित दृष्टिकोण अपनाएगा। इस पहल से मध्य प्रदेश के गांवों में समग्र विकास को गति मिलेगी, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, और आर्थिक सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
MP News : दूसरा द्विपक्षीय एमओयूए नदी संरक्षण के लिए साझा प्रयास-
दूसरा एमओयू जनअभियान परिषद और भोपाल स्थित नर्मदा समग्र के बीच होगा। इसका मुख्य उद्देश्य नदी संरक्षण के विभिन्न आयामों पर जागरूकता फैलाना और सामुदायिक सहभागिता के माध्यम से नदियों के संरक्षण के लिए मनःस्थिति और परिस्थितियों में बदलाव लाना है। नर्मदा नदी, जो मध्य प्रदेश की जीवनरेखा मानी जाती है, के संरक्षण के लिए यह समझौता सामुदायिक प्रयासों को मजबूत करेगा। इसके तहत नदी के किनारों पर वृक्षारोपण, स्वच्छता अभियान, और जल संरक्षण जैसे कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जाएगा।
MP News : ‘माटी गणेश-सिद्ध गणेश’ अभियान का शुभारंभ-
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव आज ‘माटी गणेश-सिद्ध गणेश’ अभियान का शुभारंभ करेंगे, जिसका उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना है। इस अभियान के तहत मध्य प्रदेश के 313 विकासखंडों में जनअभियान परिषद से जुड़ी नवांकुर सखियों को नर्मदा समग्र संस्थान द्वारा प्रशिक्षण दिया जाएगा। ये प्रशिक्षित सखियां स्थानीय महिलाओं को प्रेरित करेंगी ताकि घर-घर मिट्टी से बनी गणेश मूर्तियों की स्थापना हो सके। यह अभियान प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) से बनी मूर्तियों के उपयोग को कम करने और पर्यावरण-अनुकूल मिट्टी की मूर्तियों को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।