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MP News : धार: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने भोपाल गैस त्रासदी के बाद यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से निकले 358 टन जहरीले कचरे से बनी 899 टन राख के निष्पादन को लेकर राज्य सरकार को कड़ा निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि इस राख को ऐसी जगह ले जाया जाए, जहाँ न तो मानव बस्ती हो, न पेड़-पौधे और न ही जलस्रोत।
MP News : पीथमपुर TSDF प्लांट विवाद में
धार के पीथमपुर TSDF प्लांट में इस जहरीले कचरे को जलाकर राख बनाई गई थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के अब तक के कदमों को अपर्याप्त बताया और वैकल्पिक स्थल तलाशने की रिपोर्ट मांगी है। साथ ही, कोर्ट ने अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की मदद लेने पर भी जवाब तलब किया है।
याचिका में यह भी बताया गया कि राख में पारे (Mercury) की मात्रा तय सीमा से अधिक है, जो पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकती है। कोर्ट ने चेतावनी दी कि यदि प्राकृतिक आपदा जैसी स्थिति में राख का ढांचा टूट गया, तो इंदौर, धार और मऊ क्षेत्र गंभीर रूप से प्रदूषित हो सकते हैं।
MP News : पीथमपुर बचाव समिति की प्रतिक्रिया
पीथमपुर बचाव समिति ने हाईकोर्ट के फैसले को जनता की जीत करार दिया है। समिति के सदस्य हेमंत हीरोले ने कहा, यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा पीथमपुर लाया गया था, जिसका हमने लगातार विरोध किया। जलने के बाद बनी 900 टन राख में मरकरी जैसे जहरीले तत्व हैं। हमने कोर्ट में यह मांग की कि इसे पीथमपुर में रखना सुरक्षित नहीं है, क्योंकि भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा से आसपास का क्षेत्र प्रदूषित हो सकता है। कोर्ट ने हमारी बात सुनी और सरकार को वैकल्पिक स्थल ढूँढने का आदेश दिया। यह पीथमपुर की जनता की जीत है।
MP News : अगली सुनवाई
इस मामले की अगली सुनवाई 20 नवंबर 2025 को होगी। कोर्ट इस दौरान सरकार द्वारा प्रस्तुत वैकल्पिक स्थल और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की सलाह का आकलन करेगी।
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