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MP News : इस अभियान के अंतर्गत पूरे प्रदेश में जल संरचनाओं पर अभूतपूर्व कार्य हुआ, जिसमें खंडवा जिले ने 1.29 लाख जल संरचनाएं बनाकर भू-जल संरक्षण में पहला स्थान प्राप्त किया। मुख्यमंत्री ने इस सफलता को भारतीय परंपरा और आधुनिक तकनीक के समन्वय का परिणाम बताया। उन्होंने ऋग्वेद, रामायण और महाभारत में जल के महत्व के उल्लेखों का हवाला देते हुए कहा कि हमने पुरातन ज्ञान को AI, सिपरी और प्लानर सॉफ्टवेयर जैसे अत्याधुनिक तकनीकी टूल्स से जोड़कर जल संरक्षण के नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं।
MP News : राज्य में पहली बार इतने संगठित प्रयास वर्षा जल संग्रह के लिए हुए, और री-यूज, रिड्यूस और रीसायकल जैसे सिद्धांतों पर आधारित जल प्रबंधन रणनीति अपनाई गई। 83,000 से अधिक खेत तालाबों का निर्माण किया गया, वहीं 2,000 से अधिक ऐतिहासिक बावड़ियों को पुनर्जीवित कर “बावड़ी उत्सव” मनाया गया। यह अभियान एक जन आंदोलन में तब्दील हो गया, जब 2.30 लाख जल दूतों को तैयार कर युवाओं को इससे जोड़ा गया और 812 पानी चौपालों के ज़रिए किसानों से संवाद किया गया।
MP News : मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से प्रदेश की जल सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित करने की बात कही, जिसमें भोपाल की ऐतिहासिक बड़े बाग बावड़ी और होलकर कालीन बावड़ी के जीर्णोद्धार जैसे उल्लेखनीय प्रयास शामिल हैं। राज्य की 145 नदियों के उद्गम स्थलों को चिन्हित कर वहां स्वच्छता और पौधारोपण का कार्य शुरू किया गया।
MP News : डॉ. मोहन यादव ने अंत में लिखा कि मध्यप्रदेश की धरती मां नर्मदा, शिप्रा, ताप्ती और बेतवा सहित 267 नदियों की जननी है, और यह हमारी जिम्मेदारी है कि इस अमूल्य प्राकृतिक संपदा को आने वाली पीढ़ियों के लिए सहेज कर रखें। जल संरक्षण का यह आंदोलन अब एक नई दिशा और पहचान बन चुका है।
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