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MP News : भोपाल। राजधानी भोपाल के रवींद्र भवन में आयोजित अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि गीता मन में उठने वाली सभी जिज्ञासाओं का समाधान करती है। उन्होंने बताया कि आज इंदौर के राजवाड़ा के पास प्रदेश का पहला गीता भवन जनता को समर्पित किया जाएगा।
MP News : मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में शिक्षा और गुरुकुल की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि पिछले साल लाल परेड ग्राउंड पर 3,500 विद्यार्थियों ने एक साथ गीता पाठ कर अद्भुत रिकॉर्ड बनाया था। इस वर्ष पूरे प्रदेश में तीन लाख लोग गीता के 15वें अध्याय का सस्वर पाठ कर रहे हैं। उन्होंने भगवान श्री कृष्ण के कंस वध और उनके पराक्रम का उदाहरण देते हुए कहा कि शिक्षा को हमेशा प्राथमिकता दी जानी चाहिए और 5,000 साल पहले भी हमारे समाज ने इसे मान्यता दी थी।
MP News : डॉ. मोहन यादव ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण ने महर्षि सांदीपनि के आश्रम में 64 कलाएं, 14 विद्याएं और पुराण-वेदा की शिक्षा ग्रहण की। इसी गुरुकुल में उन्होंने गरीबी और अमीरी के बीच संतुलन का महत्व जाना। श्री कृष्ण और सुदामा की मित्रता ने यह सिखाया कि जीवनभर सच्चे मित्रों का सम्मान और सहयोग बनाए रखना चाहिए।
MP News : मुख्यमंत्री ने अर्जुन को कर्मवाद की शिक्षा का उदाहरण देते हुए कहा कि जन्म-मरण का चक्र चलता रहता है और प्रत्येक व्यक्ति को अपने कर्म के अनुसार जीवन में आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार ने तय किया है कि भगवान कृष्ण की लीलाओं से जुड़े सभी स्थानों को तीर्थ स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा।
MP News : डॉ. मोहन यादव ने आगे कहा कि जो महत्व द्वारिका-मथुरा का है, वही महत्व उज्जैन का भी है। भगवान के चरण जहां-जहां रहे हैं, वहां गीता भवन बनाए जाएंगे। इंदौर के राजवाड़ा में पहला गीता भवन जनता के लिए समर्पित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कर्मवाद का मूल यही है कि सुख-दुख भगवान के जिम्मे नहीं, बल्कि हमारे अपने कर्मों के अनुसार तय होते हैं। गीता प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में सही मार्ग दिखाती है और मन की सभी जिज्ञासाओं का समाधान प्रस्तुत करती है।
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