MP News : टमाटर के दाम में भारी गिरावट, किसान परेशान, बाजार में 1 रुपये किलो बिक रहा टमाटर…

कभी आसमान छूने वाले टमाटर के दाम अब जमीन पर आ गए हैं। हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल मीम्स “अहा टमाटर बड़े बड़े मजेदार” खूब चर्चित थे, क्योंकि उस समय टमाटर के दाम 80 रुपये किलो तक पहुंच गए थे। लेकिन अब वही टमाटर किसानों के लिए मुसीबत बन गया है। सागर जिले के बाजारों में टमाटर 5 रुपये में 2 किलो तक बिक रहा है, जबकि किसानों को मंडी में 1 रुपये किलो भी मुश्किल से मिल रहा है।
बाजार में टमाटर की भरमार, दाम में भारी गिरावट
बुंदेलखंड के सागर में टमाटर की फसल बंपर हुई है, लेकिन अत्यधिक उत्पादन और अचानक मौसम में बदलाव के कारण कीमतें लगातार गिर रही हैं।
- किसान सत्यनारायण पटेल बताते हैं कि बारिश और मौसम के बदलाव से टमाटर तेजी से पक गए, जिससे बाजार में एक साथ टमाटर की अधिक आपूर्ति हो गई।
- व्यापारी अब टमाटर की कीमत 60 पैसे किलो तक मांग रहे हैं।
किसानों का मुनाफा हुआ कम
किसान बबलू ने कहा,
“डेढ़ एकड़ में 2 लाख रुपये की लागत से टमाटर की फसल तैयार की थी। शुरू में फसल ने लागत निकाल दी, लेकिन अब जब मुनाफा मिलने का समय आया, तो दाम इतनी बुरी तरह गिर गए हैं कि लागत भी मुश्किल से निकल रही है।”
- मजदूरी के लिए भी किसानों को दिक्कत हो रही है।
- टमाटर तुड़ाई की लागत 200-300 रुपये प्रति मजदूर पड़ रही है, जो वर्तमान कीमतों पर निकालना मुश्किल है।
मंडी में हालत और भी खराब
सागर के आसपास की मंडियों में हालात और खराब हैं।
- फुटकर विक्रेता 10 रुपये में 3 किलो टमाटर बेच रहे हैं।
- मंडी में 1 रुपये किलो बिकने वाले टमाटर को लेकर व्यापारियों का कहना है कि इसे मंडी ले जाने पर किराए के पैसे भी नहीं निकलते।
झांसी और आगरा से व्यापारी गायब
पहले झांसी और आगरा जैसे बड़े शहरों से व्यापारी यहां आकर टमाटर खरीद रहे थे। लेकिन अब दाम गिरने के कारण व्यापारी भी दूरी बना रहे हैं। किसान अब खुद व्यापारियों को फोन कर बुलाने की कोशिश कर रहे हैं।
किसानों की समस्या बढ़ी, सरकार से मदद की उम्मीद
किसानों का कहना है कि टमाटर की खेती में मेहनत और लागत अधिक होती है। ऐसे में मौजूदा दाम उनकी उम्मीदों को तोड़ रहे हैं। सरकार से किसानों को फसल के उचित मूल्य की मांग है।
टमाटर की कीमतों में इस भारी गिरावट से न केवल किसान, बल्कि सब्जी विक्रेता भी परेशान हैं। जरूरत है कि सरकार और संबंधित विभाग इस समस्या का समाधान निकालें, ताकि किसानों को उनकी मेहनत का सही मूल्य मिल सके।