
MP News: मुख्यमंत्री मोहन यादव ने ‘जनजातीय देवलोक महोत्सव’ का किया आयोजन...
भोपाल। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने प्रदेश में जनजातीय आस्था और पूजा-पद्धतियों के संरक्षण के लिए ‘जनजातीय देवलोक’ की स्थापना की ऐतिहासिक योजना की घोषणा की है। इस पहल के तहत, वन क्षेत्रों में स्थित आदिवासी पूजा स्थलों को संरक्षित और विकसित किया जाएगा, जिससे आदिवासी संस्कृति को नई पहचान मिलेगी। इसी क्रम में, 4 मार्च को मुख्यमंत्री आवास पर ‘जनजातीय देवलोक महोत्सव’ का भव्य आयोजन किया गया, जिसमें 4500 से अधिक लोग शामिल हुए। इस महोत्सव का उद्देश्य जनजातीय परंपराओं को जीवंत बनाए रखना और आने वाली पीढ़ियों को उनसे जोड़ना है।
4500 से अधिक लोगों की भागीदारी
महोत्सव में प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से आए जनजातीय समुदायों के लोग शामिल हुए। सुबह 11 बजे से शुरू हुए इस आयोजन में आदिवासी संस्कृति, उनकी पूजा-पद्धतियां और पारंपरिक विधियों का प्रदर्शन किया गया। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि सरकार जनजातीय समाज की धार्मिक मान्यताओं को सहेजने के लिए राज्यभर में ‘देवलोक’ विकसित करेगी। इस योजना में आदिवासी समुदायों के पारंपरिक मार्गदर्शकों – ओझा, पटेल, पुजारा, तड़वी, भुमका, पंडा और गुनिया के विचारों को भी शामिल किया जाएगा।
जनजातीय संस्कृति को संरक्षित करने की पहल
मध्यप्रदेश में 7 प्रमुख जनजातियां और उनकी 43 उपजातियां निवास करती हैं, जिनकी अपनी अलग धार्मिक मान्यताएं और प्रतीक हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में स्थित जनजातीय देवी-देवताओं और पूजा स्थलों के संरक्षण के लिए विशेष भूमि चिन्हित की जाएगी। इस पहल से जनजातीय समाज की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा मिलेगा, साथ ही पर्यटन और शोध के नए अवसर भी सृजित होंगे।
आदिवासी विरासत को मिलेगा वैश्विक मंच
प्रदेश में पहली बार जनजातीय संस्कृति को संरक्षित करने के लिए इतनी बड़ी पहल की जा रही है। ‘जनजातीय देवलोक’ न केवल आदिवासी समाज की सांस्कृतिक विरासत को सहेजने में मदद करेगा, बल्कि वैश्विक मंच पर उनकी पहचान को भी सशक्त करेगा। मुख्यमंत्री ने इस योजना को मध्यप्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को नया आयाम देने वाला कदम बताया है।
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