
रायपुर। मेकाहारा अव्यवस्थाओं का मारा : प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल यानि डॉ भीमराव आंबेडकर अस्पताल में लगातार बढ़ रही चोरी और अन्य आपराधिक घटनाओं के चलते बंदूकधारी सुरक्षाबलों के जवानों की नियुक्ति की गई है। शुरूआती दौर में यहां आधा दर्जन बंदूकधारी जवान तैनात किये गए हैं। ऐसे में बुनियादी सवाल तो यही है कि जिस मेकाहारा में दिन और रात मिलकर कई हजार लोगों का आना -जाना लगा रहता है, वहां ये मुट्ठी भर जवान कैसे इनकी सुरक्षा करेंगे ? वैसे भी अव्यवस्थाओं और मेकाहारा अस्पताल का चोली -दामन का साथ है। आये दिन यहां कोई न कोई आपराधिक वारदात जरूर होती है।
मेकाहारा अव्यवस्थाओं का मारा : बड़े डॉक्टर खुद को समझते हैं भगवान
मेकाहारा से निराश होकर लौटे तमाम लोगों ने इस बात को माना है कि प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल में अव्यवस्थाएं भी बहुत अधिक हैं। यहां के कर्मचारी गरीब तबके के लोगों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं ? शायद को भी बताने की जरूरत नहीं है। रायपुर के टिकरापारा क्षेत्र की रहने वाली कंचन निराला पत्नी प्रकाश निराला को प्रसव पीड़ा से छटपटाती हुई हालत में जिला अस्पताल वालों ने पहले भगाया। उसके बाद मेकाहारा के संविदा कर्मचारी ने भद्दी गालियां बकी, वहां से उसे भगा दिया गया। बाद में महिला ने पचपेड़ी नाका स्थित एक निजी अस्पताल में जाकर भर्ती हुई। जहाँ ऑपरेशन के बाद उसे बच्चा पैदा हुआ। उसकी सास ने अपने गले का लॉकेट बेंच कर अस्पताल का बिल चुकाया। यहां के छोटे कर्मचारी भी बहुत बड़े साहब हैं और बड़े डॉक्टर तो खुद को भगवान समझते हैं। जूनियर डॉक्टर जिम्मेदारी संभालते हैं। यहां रात में चोरी और शराब के नशे में मारपीट जैसी घटनाएं आम हैं। मौदहापारा थाना इसकी मूक गवाही दे रहा है।
सुरक्षा बढ़ाने की क्यों पड़ी जरूरत
दरअसल कोलकाता के आरजी कर कालेज में हुई घटना के बाद शासकीय मेडिकल कालेज रायपुर में भी सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करने की आवश्यकता महसूस की गई थी। इसके लिए स्वास्थ्य मंत्री द्वारा चौकी में मौजूद पुलिस बल और सशस्त्र जवानों की तैनाती के निर्देश दिए थे।
सुरक्षा को पुख्ता करने आंबेडकर अस्पताल में पुलिस कर्मियों की संख्या बढ़ाने के प्रस्ताव पर अब तक काम पूरा नहीं हुआ है। इधर सशस्त्र बल के लिए ठेका एजेंसी ने बंदूकधारी जवान मुहैया कराया है। मेडिकल कालेज और आंबेडकर अस्पताल के लिए आधा दर्जन सशस्त्र जवानों की ड्यूटी लगाई गई है। अभी रात की पाली में तैनाती की जा रही है और संख्या बढ़ने पर दिन में भी सशस्त्र जवान नजर आएंगे।
कब भेजा गया था प्रस्ताव
सितंबर में जारी इस आदेश के बाद अस्पताल प्रबंधन द्वारा पुलिस विभाग को दर्जनभर जवानों की संख्या बढ़ाने के लिए प्रस्ताव भेजा गया था। इस पर अब तक किसी तरह की कार्यवाही नहीं की गई है। वहीं सशस्त्र जवानों की संख्या बढ़ाने के लिए अस्पताल की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाली कंपनी सीएमएस को निर्देशित किया था। करीब तीन महीने बाद बंदूकधारी जवानों की तैनाती का काम शुरू कर दिया गया है। शुरुआती दौर में आधा दर्जन रायफल धारी जवानों को तैनात किया गया है, जिसमें से तीन मेडिकल कालेज और तीन अस्पताल की तरफ ड्यूटी कर रहे हैं। आने वाले दिनों में इतने ही जवान और बुलाए जाएंगे, जिसके बाद उन्हें रात के साथ दिन में भी ड्यूटी पर लगाया जाएगा।
वैकल्पिक इंतजाम भी किया
अस्पताल में तैनात चिकित्सकीय स्टाफ को उनके मूल काम में लगाने के लिए आउटसोर्सिंग के कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई गई है। कर्मचारी बढ़ने के बाद सभी को सफाई से लेकर वार्ड बॉय सहित अन्य कार्य करने की जिम्मेदारी दी गई। इसके बाद अस्पताल में मरीज के अटेंडरों द्वारा स्ट्रेचर खींचने अथवा व्हील चेयर धकेलने की शिकायत में कमी आ गई है।
चोरी और मारपीट की बढ़ती घटनाएं
अस्पताल में छोटी-मोटी चोरी की घटनाएं लगभग रोजाना होती हैं। रात्रि वार्डों के बाहर सोए अटेंडरों के जरूरी सामान और मोबाइल पर अक्सर हाथ साफ कर दिया जाता है। इसी तरह ओपीडी की भीड़भाड़ के बीच भी मरीजों के साथ चिकित्सकीय स्टाफ के सामान पर भी हाथ साफ किए जाने की घटना सामने आती रही है। आती रही है। ज्यादातर मामलों में लोग पुलिसिया शिकायत के बजाए मन मसोसकर रह जाते हैं। इसे देखते हुए रात्रि में भी सुरक्षा जवानों की गश्त का सिस्टम बनाया जा रहा है। व्यवस्थाएं कितनी भी बढ़ा लें मगर जब तक मेकाहारा के चिकत्सकों का चरित्र नहीं बदलेगा किसी भी छोटे -मोटे परिवर्तन से वहां कोई बदलाव नहीं आनेवाला।