Mahakumbh 2025: अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने सनातन धर्म की परंपरा और संस्कृति को संरक्षित करने के उद्देश्य से पंचकोशी परिक्रमा का आयोजन किया। इस धार्मिक यात्रा में शामिल संत और श्रद्धालुओं का जगह-जगह पुष्पवर्षा से स्वागत किया गया। परिक्रमा के तीसरे दिन बुधवार को हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
Mahakumbh 2025: परिक्रमा की शुरुआत जूना अखाड़ा के महामंत्री महंत हरि गिरि के नेतृत्व में हुई। पहले संगम स्नान के बाद गंगा पूजन किया गया और यात्रा की शुरुआत की। इस यात्रा में यमुना पार के लालापुर स्थित श्रीमनकामेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन किए गए, फिर बीकर गांव में पद्म माधव के दरबार में मत्था टेका। इसके बाद सुजावन देव मंदिर और पर्णास मुनि के आश्रम में पूजन किया गया। यात्रा का अंतिम पड़ाव कीडगंज एडीसी चौराहा के पास जूना अखाड़ा के राम जानकी मंदिर में हुआ, जहां महापौर गणेश केसरवानी ने संतों का स्वागत किया और भगवान श्रीराम, माता जानकी, लक्ष्मण जी और हनुमान जी की स्तुति की।
Mahakumbh 2025: महंत हरि गिरि ने कहा कि पंचकोशी परिक्रमा का धार्मिक और पौराणिक महत्व है और इसमें भाग लेने से सभी कामनाएं पूरी हो जाती हैं। काशी सुमेरु पीठाधीश्वर स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि यह परिक्रमा मनुष्य को काम, क्रोध, मोह, मद और लोभ से मुक्ति दिलाती है।
Mahakumbh 2025: महापौर गणेश केसरवानी ने बताया कि गुलामी के समय में सनातन धर्म की परंपराओं को समाप्त कर दिया गया था, और पंचकोशी परिक्रमा को जबरन रुकवाया गया था। अखाड़ा परिषद और महंत हरि गिरि ने इसे पुनः शुरू करके सनातन धर्म के अनुयायियों का उद्धार किया है।
Mahakumbh 2025: श्रीमहंत नारायण गिरि ने पंचकोशी परिक्रमा को आध्यात्मिक विकास का मार्ग बताते हुए कहा कि इसमें शामिल होने से सभी तीर्थों के दर्शन का फल प्राप्त होता है और पितर भी संतुष्ट होकर अपनी कृपा बरसाते हैं। इस दौरान महामंडलेश्वर भवानी नंदन वाल्मीकि, महंत गिरिशानंद गिरि और मुन्नी लाल पांडेय सहित कई लोग यात्रा में शामिल हुए।
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