
Mahakumbh 2025: महामंडलेश्वर बनने के लिए सिर मुंडवाना क्यों है जरूरी, जानें...
Mahakumbh 2025: ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाने के बाद उनके सिर न मुंडवाने को लेकर उठे सवालों ने बड़ा विवाद खड़ा किया है। किन्नर अखाड़े ने अंततः ममता को महामंडलेश्वर पद से हटा दिया है। अब सवाल यह उठ रहा है कि महामंडलेश्वर बनने के लिए सिर मुंडवाना क्यों जरूरी है, और इसका क्या महत्व है?
महामंडलेश्वर बनने के लिए व्यक्ति को सन्यासी जीवन अपनाना पड़ता है, जिसमें सांसारिक सुखों का त्याग और साधना पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। सिर मुंडवाना इस त्याग का प्रतीक माने जाता है। सिर मुंडवाने से सभी साधु-संत समान रूप से दिखते हैं, जिससे जाति, धर्म और समाजिक स्थिति का भेद मिटता है। साथ ही, यह ध्यान की एकाग्रता को बढ़ाता है और मन को शांत करता है। इसलिए महामंडलेश्वर बनने के लिए सिर मुंडवाना अनिवार्य माना जाता है।
Mahakumbh 2025: किंतु ममता कुलकर्णी ने प्रयागराज महाकुंभ में पिंडदान कर संन्यास लेने के बाद किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर पद प्राप्त किया, जहां उनका नाम श्री यामाई ममता नंद गिरी रखा गया था। हालांकि, उनके सिर न मुंडवाने को लेकर जबरदस्त विरोध हुआ, जिसके कारण उन्हें इस पद से हटा दिया गया।
महामंडलेश्वर बनने की परंपरा भी विशेष महत्व रखती है। धर्मशास्त्रों का गहन ज्ञान, साधना में निपुणता और समाज सेवा के प्रति समर्पण महामंडलेश्वर बनने के लिए जरूरी हैं। इसके साथ ही, सिर मुंडवाने की परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है। पिंडदान के बाद मुंडन संस्कार का पालन जरूरी माना जाता है, क्योंकि बिना सिर मुंडवाए व्यक्ति को पवित्र नहीं माना जाता।
Mahakumbh 2025: पिंडदान और मुंडन दोनों ही हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण संस्कार हैं, जो आध्यात्मिक विकास से जुड़े होते हैं। पिंडदान से सांसारिक बंधनों से मुक्ति मिलती है, जबकि मुंडन से व्यक्ति शारीरिक और मानसिक रूप से शुद्ध होता है। प्रयागराज के पवित्र संगम स्थल पर पिंडदान और मुंडन का खास महत्व है, जहां इन संस्कारों से व्यक्ति को पवित्रता और मोक्ष प्राप्त होता है।
Discover more from ASIAN NEWS BHARAT - Voice of People
Subscribe to get the latest posts sent to your email.