
Mahakumbh 2025: महाकुंभ में किन्नर अखाड़ा का इतिहास, जानें....
Mahakumbh 2025: किन्नर अखाड़ा का इतिहास:
प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू होने वाला महाकुंभ 26 फरवरी तक चलेगा, जिसमें लगभग 40 करोड़ लोग आने का अनुमान है। इस धार्मिक मेले में सभी 13 अखाड़े अपने लाखों संतों के साथ पवित्र संगम में डुबकी लगाएंगे। इन अखाड़ों में से किन्नर अखाड़ा विशेष आकर्षण का केंद्र बना है, और किन्नरों का वैभव हर किसी को चौंका देता है। हालांकि, बहुत कम लोग जानते हैं कि किन्नर अखाड़ा कैसे बना और इसकी क्या ऐतिहासिक महत्व है।
Mahakumbh 2025: किन्नर अखाड़े की स्थापना:
किन्नर समाज के लिए वर्षों से काम करने वाली किन्नर एक्टिविस्ट डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने 2015 में किन्नर अखाड़ा बनाने का विचार किया। इसके लिए उन्होंने अपने समुदाय के लोगों को एकत्रित किया और अखाड़ा स्थापित किया। हालांकि, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने इसका विरोध किया, लेकिन डॉ. त्रिपाठी अपने फैसले पर अडिग रही। 2016 में उज्जैन के कुंभ में किन्नर अखाड़ा ने अपना अलग कैंप स्थापित किया।
Mahakumbh 2025: उज्जैन में शाही स्नान:
उज्जैन कुंभ में किन्नर अखाड़े को स्थान तो मिला, लेकिन अखाड़ा परिषद ने उनके शाही स्नान पर आपत्ति जताई। इसके बाद किन्नर अखाड़े के संतों ने खुद को उपदेव घोषित करते हुए शाही स्नान किया। उज्जैन में किन्नर अखाड़ा आकर्षण का केंद्र बन गया और उन्हें समाज से अच्छा समर्थन मिला।
Mahakumbh 2025: किन्नर अखाड़ा किसके अधीन है?
2019 में किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी की मुलाकात जूना अखाड़े के संरक्षक हरि गिरि महाराज से हुई। इसके बाद किन्नर अखाड़े ने जूना अखाड़े के साथ एक अनुबंध किया, जिसके अनुसार किन्नर अखाड़ा अब कुंभ मेले में जूना अखाड़े के साथ शाही स्नान करेगा। जूना अखाड़े की स्वीकृति के बाद अन्य अखाड़ों ने भी किन्नर अखाड़े के प्रति अपना दृष्टिकोण बदल लिया।
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