
लता मंगेशकर की पुण्यतिथि : जानें स्वर कोकिला की 7 अनसुनी बातें...
लता मंगेशकर की पुण्यतिथि : भारत की स्वर कोकिला लता मंगेशकर का नाम संगीत की दुनिया में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है। उनकी मधुर आवाज़ ने दशकों तक श्रोताओं के दिलों पर राज किया। 6 फरवरी 2022 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया, लेकिन उनकी आवाज़ आज भी हमारे बीच जीवंत है। उनकी पुण्यतिथि पर पूरा देश उन्हें याद कर रहा है। लता मंगेशकर को कई नामों से जाना जाता है, जैसे ‘स्वर साम्राज्ञी’, ‘बुलबुले हिंद’ और ‘कोकिला’। हालांकि, उनके जीवन से जुड़ी कई बातें ऐसी हैं, जिनसे शायद आप अब तक अनजान होंगे।
1. लता मंगेशकर का असली नाम
लता मंगेशकर का जन्म हेमा मंगेशकर के नाम से हुआ था। लेकिन बाद में उनके पिता पं. दीनानाथ मंगेशकर ने उनका नाम बदलकर लता रख दिया। यह नाम उनके नाटक ‘भाव बंधन’ के एक पात्र लतिका से प्रेरित था।
2. पांच साल की उम्र से गाना शुरू किया
लता जी के पिता एक प्रसिद्ध थिएटर अभिनेता और शास्त्रीय गायक थे, जिसके चलते संगीत का माहौल उन्हें बचपन से ही मिला। मात्र पांच साल की उम्र में उन्होंने गाना सीखना शुरू कर दिया था। उनके पिता को उनकी प्रतिभा का अंदाजा तब हुआ, जब उन्होंने अपने एक शिष्य को रियाज़ करते समय गलती करते हुए सुना और तुरंत उसे सही कर दिया।
3. पहली बार गाया गाना, लेकिन रिलीज़ नहीं हुआ
लता मंगेशकर ने 1942 में मराठी फिल्म ‘किती हसाल’ के लिए अपना पहला गीत रिकॉर्ड किया था। गाना था ‘नाचू या गाड़े, खेलू सारी मानी हौस भारी’। हालांकि, दुर्भाग्य से यह गाना फिल्म से हटा दिया गया और लता जी का पहला गीत कभी लाइव नहीं हुआ।
4. अपने ही गाने नहीं सुने
यह जानकर आश्चर्य होगा कि लता मंगेशकर ने कभी अपने ही गाने नहीं सुने। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि उन्हें अपनी गायकी में कई खामियां नजर आती थीं, इसलिए वे कभी अपने ही गानों को सुनना पसंद नहीं करती थीं।
5. ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ ने नेहरू को रुला दिया
1962 के भारत-चीन युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की श्रद्धांजलि में लता मंगेशकर ने ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गाया था। 27 जनवरी 1963 को नई दिल्ली के रामलीला मैदान में जब उन्होंने यह गीत गाया, तो प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की आंखों से आंसू छलक पड़े थे। यह गीत आज भी देशभक्ति की सबसे प्रभावशाली रचनाओं में से एक माना जाता है।
6. पहला भारतीय जिसने रॉयल अल्बर्ट हॉल में परफॉर्म किया
लता मंगेशकर रॉयल अल्बर्ट हॉल (लंदन) में लाइव परफॉर्म करने वाली पहली भारतीय बनीं। यह उनकी प्रतिभा का प्रमाण था कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी अपनी गायकी से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
7. गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज
1974 में लता मंगेशकर का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में सबसे ज्यादा गाने रिकॉर्ड करने वाली गायिका के रूप में दर्ज हुआ। उस समय तक उन्होंने लगभग 25,000 गाने गाए थे। हालांकि, बाद में इस रिकॉर्ड को लेकर विवाद हुआ और मोहम्मद रफी ने इसका विरोध किया।
लता मंगेशकर सिर्फ एक गायिका नहीं, बल्कि भारतीय संगीत की आत्मा थीं। उनकी आवाज़ में जो मिठास, भावनाएं और गहराई थी, वह उन्हें दूसरों से अलग बनाती थी। उन्होंने न केवल संगीत को एक नई ऊंचाई दी, बल्कि इसे आत्मा तक पहुंचाने की कला में महारत हासिल की। 6 फरवरी को उनकी पुण्यतिथि पर हम उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनकी अमर आवाज़ को सलाम करते हैं।
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