Katihar Bihar : कटिहार बिहार : दीपो का महापर्व दीपावली को लेकर देशभर में अभी से ही जश्न का माहौल है, हर कोई रंग-बिरंगे झालर के साथ पारंपरिक मिट्टी के दिया खरीदने की तैयारी में है
ऐसे में कुम्हार टोली में फिलहाल रौनक देखा जा सकता है, मगर चार दिनों की इस रौनक के पीछे कुम्हारों की जो दर्द भरी कहानी छिपी है ये उजाले के पीछे अंधेरा जैसा हालात है, तस्वीर कटिहार पटेल चौक कुम्हार टोली की है
जहां लगभग 30 घर आज भी पारंपरिक मिट्टी के सामान बनाने के कारोबार से जुड़े हैं, कुम्हारों की माने तो पारंपरिक चाक की जगह बिजली से चलने वाली चाक आने से शरीर को कुछ हद तक तो राहत मिला है, मगर बिजली का बिल
चुकता करना बड़ी समस्या है, इसके अलावा मिट्टी के दाम कई गुना बढ़ाने के साथ-साथ जलावन भी महंगा हो चुका है, जिस कारण से लागत और मेहनत के अनुसार मुनाफा नहीं हो पता है, पर लोग आज भी मजबूरी में पीढ़ी दर पीढ़ी
खासकर दीपावली जैसे महापर्व में मिट्टी के इस कारोबार से जुड़े हुए हैं, कुम्हार टोली के लोग चाहते हैं की केंद्र सरकार इलेक्ट्रॉनिक चाक देकर जिस तरह से राहत पहुंचाया है, इसी तरीके से बिहार सरकार अगर उन लोगों के लिए रियायत
दर पर बिजली उपलब्ध करवा दे तो कुम्हार के जिंदगी मे भी इस दीपावली रोशनी से सराबोर हो सकता है। दीया के कारोबार से जुड़ी महिलाएं कहती है कि दीपावली से लेकर लोक आस्था के महापर्व छठ तक इन सामग्रियों की मांग
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भरपूर रहती है, लेकिन कुम्हार के अपने दर्द है उन्हें बाजार में दुकान लगाने में भी भारी परेशानी झेलनी पड़ती है, जबकि मेहनत के अनुरूप इस कारोबार में आमदनी नहीं है इसलिए नई पीढ़ी इस धंधे से जुड़ना नहीं चाहते है।
बरहाल दीपावली पर मिट्टी के दिए से घरों को सजाना शुभ माना जाता है, साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोगों से लोकल उत्पादों को अपनाने की अपील भी करते हैं, इसके अलावा लोकल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य
सरकार की ओर से कई कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं, ऐसे में जरूरत है इन कुम्हारों को रियायत दर पर बिजली उपलब्ध करवाई जाए जिससे उनके घरों में भी रोशनी की लॉ जल सके।
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