
Justice Yashwant Verma
Justice Yashwant Verma: नई दिल्ली: इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ कैश कांड में एक नया मोड़ आया है। संसद के आगामी मानसून सत्र में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाए जाने से पहले, वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर पूर्व CJI संजीव खन्ना की सिफारिश और इन-हाउस जांच कमेटी की रिपोर्ट को चुनौती दी है। जस्टिस वर्मा का दावा है कि जांच प्रक्रिया में नैचुरल जस्टिस के सिद्धांतों का पालन नहीं हुआ और उन्हें निष्पक्ष सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया।
कैश कांड का घटनाक्रम
14 मार्च 2025 को दिल्ली के तुगलक क्रीसेंट स्थित उनके सरकारी बंगले के स्टोररूम में आग लगने के बाद भारी मात्रा में जले हुए नोट बरामद हुए थे। उस समय जस्टिस वर्मा दिल्ली हाईकोर्ट में तैनात थे और घटना के समय अपने घर पर मौजूद नहीं थे। सुप्रीम कोर्ट की एक तीन जजों की कमेटी ने जांच में पाया कि स्टोररूम पर वर्मा और उनके परिवार का नियंत्रण था, लेकिन उन्होंने नकदी के स्रोत पर कोई स्पष्टता नहीं दी।
वर्मा की याचिका
जस्टिस वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा कि जांच प्रक्रिया पक्षपातपूर्ण थी और CJI ने उनकी पर्सनल हियरिंग की मांग को ठुकरा दिया।
महाभियोग और अन्य कानूनी कदम
केंद्र सरकार 21 जुलाई से शुरू होने वाले मानसून सत्र में महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही है, जिसमें विपक्ष भी उनका साथ दे सकता है। इसके अलावा, दिल्ली पुलिस और ईडी से FIR दर्ज करने की भी मांग उठाई जा रही है।
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