
Jagannath Rath Yatra 2025
Jagannath Rath Yatra 2025: जगन्नाथ रथ यात्रा भारत के ओडिशा राज्य के पुरी शहर में प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला एक अत्यंत महत्वपूर्ण हिंदू धार्मिक एवं सांस्कृतिक त्योहार है। यह उत्सव भगवान जगन्नाथ, जो भगवान विष्णु के एक रूप हैं, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को समर्पित है।
रथ यात्रा का महत्व
भगवान जगन्नाथ की यह भव्य रथ यात्रा हिंदू धर्म में विशेष स्थान रखती है। इस दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियों को तीन विशाल, सुंदर सजाए गए लकड़ी के रथों में नगर भ्रमण के लिए निकाला जाता है। यह यात्रा भक्तों के लिए भगवान के निकट आने और दर्शन करने का सुनहरा अवसर होती है। साथ ही, यह त्योहार आस्था, भक्ति और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी है, जो विभिन्न जाति और वर्ग के लोगों को एक साथ जोड़ता है।
Jagannath Rath Yatra 2025: रथ यात्रा की प्रक्रिया
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तीन रथ नीम की पवित्र लकड़ी (दारु) से बनाए जाते हैं।
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भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा क्रमशः अपने-अपने रथों पर सवार होकर जगन्नाथ मंदिर से यात्रा प्रारंभ करते हैं।
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रथों को हजारों भक्त रस्सियों से खींचते हुए गुंडीचा मंदिर तक ले जाया जाता है। माना जाता है कि गुंडीचा मंदिर भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर है, जहां वे कुछ दिनों के लिए विश्राम करते हैं।
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इसके बाद ‘बाहुड़ा यात्रा’ के तहत वे पुनः अपने मंदिर लौटते हैं।
धार्मिक मान्यताएँ और आस्था
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मोक्ष की प्राप्ति: ऐसा माना जाता है कि इस रथ यात्रा में भाग लेने या रथ के दर्शन मात्र से सभी पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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मनोकामना पूर्ति: रथ खींचने या रथ के मार्ग में झाड़ू लगाने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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सामुदायिक एकता: यह यात्रा समाज में भाईचारे और एकता को मजबूत करती है।
Jagannath Rath Yatra 2025: जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 की तारीख
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ शुक्ल द्वितीया तिथि 26 जून, 2025 को दोपहर 1 बजकर 24 मिनट से आरंभ होकर 27 जून, 2025 को सुबह 11 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी। इस वर्ष रथ यात्रा का मुख्य आयोजन 27 जून, 2025 शुक्रवार को होगा।
संक्षेप में
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स्थान: पुरी, ओडिशा
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मुख्य आयोजन दिन: 27 जून 2025 (शुक्रवार)
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रथ यात्रा की शुरुआत: भगवान जगन्नाथ मंदिर से
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गंतव्य: गुंडीचा मंदिर
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प्रमुख देवता: भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा
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महत्व: धार्मिक आस्था, मोक्ष की प्राप्ति, सामाजिक एकता
यह रथ यात्रा न केवल ओडिशा बल्कि पूरे भारत एवं विश्व के लाखों भक्तों के लिए आस्था और संस्कृति का अद्भुत पर्व है, जो हर साल बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।
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