
Indian Air Force: नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर की शानदार सफलता के बाद भारतीय वायुसेना अब इजरायल से रैम्पेज एयर-टू-ग्राउंड मिसाइलों की बड़ी खेप खरीदने की तैयारी में है। रक्षा सूत्रों के अनुसार, इस मिसाइल को वायुसेना में हाई स्पीड लो ड्रैग-मार्क 2 (HSLD-Mark 2) के नाम से जाना जाता है।
Indian Air Force: रैम्पेज मिसाइल को सुखोई (Su-30 MKI), जगुआर और मिग-29 जैसे लड़ाकू विमानों में पहले ही शामिल किया जा चुका है। रक्षा सूत्रों के मुताबिक, ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत रैम्पेज मिसाइल को भारत में ही निर्मित करने की संभावनाओं पर भी विचार किया जा रहा है।
Indian Air Force: रक्षा सूत्रों के अनुसार रैम्पेज मिसाइलों के ऑर्डर को जल्द पूरा करने की प्रक्रिया चल रही है और जल्द ही इसकी मंजूरी मिलने की उम्मीद है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इन मिसाइलों ने अपनी प्रभावशाली क्षमता का प्रदर्शन किया था, जब Su-30 MKI फाइटर जेट से इनका इस्तेमाल कर पाकिस्तानी ठिकानों को निशाना बनाया गया था।
Indian Air Force: रैम्पेज मिसाइल की खासियत
भारत ने पहली बार 2020-21 में पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ बढ़ते तनाव के दौरान रैम्पेज मिसाइल को अपनी वायुसेना में शामिल किया था। इस मिसाइल की सबसे बड़ी विशेषता इसकी लंबी दूरी तक तेजी से सटीक हमला करने की क्षमता है। यह फाइटर जेट्स को दुश्मन के इलाके में गहराई तक हमला करने और एयर डिफेंस सिस्टम की रेंज से बाहर रहने में सक्षम बनाती है।
Indian Air Force : Su-30 MKI की ताकत में इजाफा
रैम्पेज मिसाइल के शामिल होने से Su-30 MKI फाइटर जेट की मारक क्षमता में जबरदस्त इजाफा हुआ है। यह जेट पहले से ही 400 किलोमीटर से अधिक दूरी तक मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइलों को ले जाने में सक्षम है। अब वायुसेना इस इजरायली मिसाइल को अन्य लड़ाकू विमानों में भी शामिल करने के विकल्प तलाश रही है।