
India-Britain FTA : भारत-ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौता, कारोबार, निवेश और प्रवासी हितों को मिलेगा बढ़ावा
India-Britain FTA : नई दिल्ली/लंदन। भारत और ब्रिटेन के बीच वर्षों से लंबित मुक्त व्यापार समझौता (FTA) आखिरकार पूर्ण हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के बीच टेलीफोन पर हुई बातचीत के बाद इस ऐतिहासिक समझौते की औपचारिक घोषणा की गई। यह समझौता दोनों देशों के व्यापारिक, आर्थिक और सामाजिक सहयोग को नई दिशा देने वाला माना जा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “मुझे खुशी है कि मेरे मित्र ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर से बात हुई। भारत और ब्रिटेन ने एक ऐतिहासिक और लाभकारी FTA और डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन को सफलतापूर्वक संपन्न किया है। यह समझौता बिजनेस, इन्वेस्टमेंट, रोजगार और समृद्धि को नई ऊर्जा देगा।”
India-Britain FTA : व्यापारिक संबंधों में नई जान
यह कॉम्प्रीहेंसिव फ्री ट्रेड एग्रीमेंट वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार को संतुलित और समावेशी रूप से कवर करता है। इससे व्यापार बाधाओं में कमी आएगी, और दोनों देशों की कंपनियों को नए बाजारों और साझेदारियों के अवसर मिलेंगे। समझौते का उद्देश्य द्विपक्षीय व्यापार को मज़बूत करना, वैश्विक प्रतिस्पर्धा में संयुक्त उत्पाद व सेवाओं का निर्माण करना और नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार लाना है।
India-Britain FTA : प्रवासियों के लिए राहत
FTA के साथ-साथ डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन भी लागू किया गया है, जो प्रवासी कामगारों और निवेशकों के लिए सामाजिक सुरक्षा और कराधान के क्षेत्र में बड़ी राहत लेकर आया है। इससे खासकर ब्रिटेन में कार्यरत भारतीय पेशेवरों को लॉन्ग-टर्म सामाजिक सुरक्षा लाभ मिलेंगे। वहीं ब्रिटिश कंपनियों को भारत में निवेश करने में अधिक सुविधा मिलेगी।
India-Britain FTA : वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बढ़ेगी भागीदारी
दोनों देशों के नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि इस समझौते के माध्यम से भारत और ब्रिटेन वैश्विक सप्लाई चेन में अपनी भूमिका को और अधिक प्रभावी बना सकेंगे। साथ ही, यह सहयोग अनुसंधान, नवाचार और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में भी द्विपक्षीय भागीदारी को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएगा।
India-Britain FTA : मुक्त व्यापार समझौता (FTA) क्या होता है
FTA एक ऐसा समझौता होता है जो दो या अधिक देशों के बीच आयात-निर्यात शुल्क और गैर-शुल्क बाधाओं को घटाकर व्यापार को सुगम बनाता है। इससे न केवल कंपनियों को नए बाजार मिलते हैं, बल्कि उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण और किफायती उत्पाद प्राप्त होते हैं। इससे निवेश को प्रोत्साहन मिलता है और आर्थिक विकास की गति तेज होती है।
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