भारत अमेरिका की बढ़ेगी रणनीतिक साझेदारी, रिश्तों में आएगी मजबूती.....
रणनीतिक साझेदारी में वृद्धि
ट्रंप के पहले कार्यकाल में भारत-अमेरिका संबंधों में काफी सुधार हुआ था। इस बार भी दोनों देशों के बीच निम्नलिखित क्षेत्रों में सहयोग बढ़ने की उम्मीद है:
- रक्षा सहयोग: हथियारों की खरीद-बिक्री और संयुक्त सैन्य अभ्यास बढ़ सकते हैं।
- प्रौद्योगिकी हस्तांतरण: उच्च तकनीक के क्षेत्र में सहयोग बढ़ सकता है।
- क्वाड: चीन को रोकने के लिए क्वाड गठबंधन और मजबूत हो सकता है।
चीन पर दबाव
ट्रंप चीन विरोधी रुख के लिए जाने जाते हैं। उनके कार्यकाल में:
- चीन पर आर्थिक दबाव बढ़ सकता है
- हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की भूमिका बढ़ सकती है
- चीन के विस्तारवाद को रोकने के लिए भारत-अमेरिका सहयोग बढ़ सकता है
व्यापार और आर्थिक संबंध
व्यापार के मोर्चे पर कुछ चुनौतियां हो सकती हैं:
- ट्रंप की “अमेरिका फर्स्ट” नीति से व्यापार तनाव बढ़ सकता है
- टैरिफ और व्यापार समझौतों पर मतभेद हो सकते हैं
- H-1B वीजा पर प्रतिबंध लग सकते हैं
आव्रजन नीति
ट्रंप की सख्त आव्रजन नीति से भारतीय प्रवासियों को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है:
- H-1B वीजा पर प्रतिबंध
- ग्रीन कार्ड प्रक्रिया में बदलाव
- अवैध आव्रजन पर कड़ा रुख
निष्कर्षतः, ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में भारत-अमेरिका संबंधों में कूटनीतिक और रणनीतिक सहयोग बढ़ने की उम्मीद है। हालांकि, व्यापार और आव्रजन के मुद्दों पर कुछ चुनौतियां हो सकती हैं। दोनों देशों को अपने हितों के बीच संतुलन बनाना होगा।
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