
सारागांव के देवरी गांव में महिलाओं को 'पैरा शिल्प' की ट्रेनिंग, आत्मनिर्भर बनने की ओर कदम बढ़ाया....
जांजगीर-चाम्पा के सारागांव क्षेत्र के देवरी गांव में महिलाओं और युवतियों को ‘पैरा शिल्प’ की विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है। इस 90 दिनों की ट्रेनिंग को प्रसिद्ध ट्रेनर चुड़ामणि सूर्यवंशी द्वारा संचालित किया जा रहा है, जिनका अनुभव 15 वर्षों से अधिक है। इस कला के तहत धान के पैरा से अलग-अलग कलाकृतियां बनाई जा रही हैं, जो किसी को भी अपनी ओर आकर्षित कर सकती हैं।
चुड़ामणि सूर्यवंशी ने बताया कि इस कला में कोई रंग का उपयोग नहीं होता, बल्कि केवल काले, मेहरून और नीले कपड़े, कार्टबोर्ड, और फेवीकॉल का प्रयोग किया जाता है। वे अब तक 5,000 से अधिक लोगों को इस कला में प्रशिक्षित कर चुके हैं। उनके अनुसार, पैरा शिल्प के माध्यम से कोई भी चित्र तैयार किया जा सकता है, और लोगों द्वारा ऑर्डर भी दिए जाते हैं।
इस ट्रेनिंग का मुख्य उद्देश्य महिलाओं और युवतियों को आत्मनिर्भर बनाना है ताकि वे इस कला को सीखकर घर बैठे रोजगार प्राप्त कर सकें। ग्रामोद्योग विभाग द्वारा आयोजित इस ट्रेनिंग से महिलाएं और युवतियां अपने हुनर से अपना भविष्य संवारने की दिशा में कदम बढ़ा रही हैं।
ट्रेनिंग ले रही महिलाएं भी इस कला को सीखने में उत्साहित हैं और मानती हैं कि यह हुनर उन्हें घर पर ही रोजगार प्रदान करेगा। साथ ही, उन्हें एक नया कौशल भी मिलेगा, जिससे वे अपने जीवन में न केवल वित्तीय स्वतंत्रता पा सकेंगी, बल्कि आत्मविश्वास भी बढ़ेगा।
“पैरा शिल्प” कला के माध्यम से महिलाएं अपनी आर्थिक स्थिति सुधार सकती हैं और अपने हुनर को न केवल बाजार में बेच सकती हैं, बल्कि यह कला उन्हें आत्मनिर्भर बनने में मदद करेगी।