
IMF Lone: IMF ने फिर पाकिस्तान का थामा हाथ, PAK को मिला फंड, भारत ने किया विरोध
IMF Lone: वाशिंगटन डीसी/इस्लामाबाद : अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान को बड़ी राहत देते हुए एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (EFF) के तहत 1 अरब डॉलर की अगली किस्त जारी करने की मंजूरी दे दी है। यह निर्णय ऐसे समय आया है जब पाकिस्तान पर आतंकवाद को पनाह देने के गंभीर आरोप लगते रहे हैं। भारत ने IMF के इस कदम पर कड़ी आपत्ति जताई है और बोर्ड मीटिंग में मतदान से दूरी बनाकर नाराजगी जाहिर की है।
IMF Lone: भारत का मानना है कि यह वित्तीय सहायता क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है और इससे आतंकवादी गतिविधियों को अप्रत्यक्ष समर्थन मिल सकता है। भारत ने कहा है कि पाकिस्तान की कमजोर निगरानी प्रणाली और बार-बार की गई वादाखिलाफियों को देखते हुए इस तरह की सहायता देना एक जोखिम भरा कदम है। भारत ने यह भी चेताया कि IMF की इस राहत नीति से पाकिस्तान जैसे देशों को बिना जवाबदेही के आर्थिक मदद मिलती रहती है, जो आगे चलकर वैश्विक वित्तीय स्थिरता के लिए भी खतरा बन सकती है।
IMF Lone: भारत ने IMF की उस रिपोर्ट का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि पाकिस्तान बार-बार आर्थिक मदद मांगता रहा है और IMF उसे एक ऐसा कर्जदार मानता है जिसे असफल नहीं होने दिया जा सकता। भारत का तर्क है कि केवल आर्थिक संख्याओं के आधार पर सहायता देना उचित नहीं, बल्कि उस देश की नीतियों और वैश्विक व्यवहार को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।
IMF Lone: पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और बयान
पाकिस्तान ने IMF की मंजूरी को अपनी “कूटनीतिक जीत” बताया है और भारत की आपत्ति को “रणनीतिक असफलता” करार दिया है। इस्लामाबाद में आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि भारत इस क्षेत्र में पाकिस्तान की वित्तीय मजबूती को बर्दाश्त नहीं कर पा रहा।
IMF Lone: पाकिस्तान की डगमगाती अर्थव्यवस्था
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था इन दिनों गंभीर संकट से जूझ रही है। गिरते विदेशी मुद्रा भंडार, बढ़ती महंगाई और कर्ज के बोझ तले दबा पाकिस्तान लगभग हर कुछ महीनों में IMF की ओर राहत के लिए देखता है। यह 1 अरब डॉलर की मदद भले ही तात्कालिक राहत दे, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह दीर्घकालिक समाधान नहीं है।
IMF Lone: भारत की ओर से दी गई चेतावनी और IMF की लचीली नीति ने एक बार फिर वैश्विक संस्थाओं की भूमिका और जवाबदेही पर सवाल खड़े कर दिए हैं। भारत का स्पष्ट संदेश है कि आतंक से जुड़े मुल्कों को बिना शर्त राहत देना, केवल वित्तीय नहीं बल्कि सुरक्षा और नैतिकता का भी विषय है।
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