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पंडवानी की मशहूर लोकगायिका और पद्म विभूषण से सम्मानित तीजन बाई ने अपना दर्द बयां किया है। 78 वर्षीय तीजन बाई, जो दो साल से लकवाग्रस्त हैं, ने कहा कि उन्हें पिछले आठ महीनों से अपनी पेंशन नहीं मिली है। यह स्थिति न केवल उनके लिए मुश्किल है, बल्कि उन कलाकारों की अनदेखी को भी दर्शाती है, जिन्होंने अपनी कला से देश-दुनिया में भारत का नाम रोशन किया।
तीजन बाई ने पंडवानी को न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। उनकी गायकी की अनोखी शैली और छत्तीसगढ़ी संस्कृति को जीवंत करने की कला ने उन्हें कला जगत में एक विशेष स्थान दिलाया।
तीजन बाई ने बताया कि लकवे की वजह से वह अब गा नहीं पा रही हैं और उनकी आर्थिक स्थिति भी कमजोर हो चुकी है। ऐसे में पेंशन का न मिलना उनकी परेशानियों को और बढ़ा रहा है।
“मैंने अपनी पूरी जिंदगी पंडवानी को समर्पित कर दी, लेकिन आज सरकार की अनदेखी का सामना कर रही हूं,” तीजन बाई ने कहा।
तीजन बाई ने सरकार से निवेदन किया है कि उनकी पेंशन तुरंत शुरू की जाए और कलाकारों के लिए उचित सहायता की व्यवस्था की जाए।
इस खबर के बाद, तीजन बाई के प्रशंसकों और कलाकार समुदाय ने उनके समर्थन में आवाज उठाई है। उन्होंने सरकार से अपील की है कि ऐसे महान कलाकारों की जरूरतों का ध्यान रखा जाए।
यह घटना हमारे समाज में उन कलाकारों की अनदेखी की ओर इशारा करती है, जिन्होंने अपने योगदान से हमारी संस्कृति और परंपरा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
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