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ICA Global Cooperative Conference 2024 : पीएम नरेंद्र मोदी आज एक ऐतिहासिक कदम के तहत अंतरराष्ट्रीय सहकारिता सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। यह सम्मेलन सहकारिता के क्षेत्र में नई संभावनाओं और वैश्विक सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इस कार्यक्रम में 100 से अधिक देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं, जो इसे वैश्विक स्तर पर सहकारिता के बढ़ते महत्व का प्रतीक बनाता है।
सहकारिता: समावेशी विकास का आधार
सहकारिता के मॉडल को सामाजिक और आर्थिक विकास का एक मजबूत आधार माना जाता है। यह मॉडल न केवल ग्रामीण विकास को बढ़ावा देता है, बल्कि इसे आत्मनिर्भरता, समावेशिता और सतत विकास की दिशा में भी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस सम्मेलन का उद्देश्य सहकारिता के इस मॉडल को वैश्विक स्तर पर मजबूती प्रदान करना और इसे नए आयामों तक ले जाना है।सम्मेलन के प्रमुख बिंदु
- वैश्विक प्रतिनिधित्व: 100 से अधिक देशों के प्रतिनिधि इस सम्मेलन में शामिल होकर सहकारिता के अनुभव और विचार साझा करेंगे। इसमें सहकारी संगठनों, सरकारी अधिकारियों, उद्योगपतियों और विशेषज्ञों की भागीदारी होगी।
- सहकारिता के नए अवसर: सम्मेलन के दौरान सहकारिता के क्षेत्र में नवाचार और तकनीकी उपयोग के तरीकों पर चर्चा की जाएगी। वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए समझौते और साझेदारी पर विचार किया जाएगा।
- प्रधानमंत्री का संबोधन: प्रधानमंत्री मोदी अपने उद्घाटन भाषण में भारत में सहकारिता के इतिहास, उपलब्धियों और इसके भविष्य पर अपनी दृष्टि प्रस्तुत करेंगे। वे सहकारिता को ‘सबका साथ, सबका विकास’ के आदर्श के साथ जोड़ने पर जोर देंगे।
- ग्रामीण विकास पर जोर: सम्मेलन में विशेष सत्र ग्रामीण सहकारिता, कृषि, माइक्रोफाइनेंस, और महिला सशक्तिकरण पर केंद्रित होंगे। सहकारी समितियों के माध्यम से ग्रामीण इलाकों में समृद्धि लाने के तरीकों पर चर्चा की जाएगी।
भारत की भूमिका: सहकारिता का वैश्विक केंद्र
भारत हमेशा से सहकारिता के क्षेत्र में अग्रणी रहा है। चाहे वह अमूल जैसी सफल सहकारी संस्थाएं हों या प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां (PACS), भारत ने सहकारिता को सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण का माध्यम बनाया है। इस सम्मेलन के जरिए भारत वैश्विक मंच पर अपनी विशेषज्ञता और अनुभव साझा करेगा।वैश्विक सहकारिता का महत्व
दुनिया भर में सहकारिता मॉडल गरीबी उन्मूलन, रोजगार सृजन और सतत विकास के लिए महत्वपूर्ण माना गया है। यह मॉडल सामाजिक असमानताओं को कम करने और विकास को समावेशी बनाने में मदद करता है।सम्मेलन का महत्व
यह अंतरराष्ट्रीय सहकारिता सम्मेलन केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि सहकारिता के भविष्य को लेकर एक वैश्विक संवाद है। यह विभिन्न देशों के बीच विचारों और संसाधनों के आदान-प्रदान का मंच प्रदान करेगा। इसके परिणामस्वरूप सहकारिता के क्षेत्र में नवाचार, तकनीकी प्रगति और साझेदारी के नए अवसर खुलेंगे।निष्कर्ष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया जा रहा यह सम्मेलन सहकारिता को एक वैश्विक आंदोलन बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। भारत के लिए यह एक अवसर है कि वह अपनी सहकारी उपलब्धियों को दुनिया के सामने पेश करे और इस मॉडल के माध्यम से वैश्विक चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत करे। सहकारिता की इस यात्रा में यह सम्मेलन एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।Discover more from ASIAN NEWS BHARAT
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