
हाय मेरा बच्चा आईसीयू में 10 नवजात जिंदा जले, क्या है झांसी की बदहवासी...
झांसी : हाय मेरा बच्चा : उत्तर प्रदेश के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल काॅलेज स्पेशल न्यूबाॅर्न केयर यूनिट में शुक्रवार की रात भीषण आग लगने से कोहराम मचा हुआ है।
एक डाॅक्टर के हाथ में तीन झुलस कर काले पड़े बच्चे, जिनको वो लेकर दूसरे वाॅर्ड की ओर दौड़ा चला जा रहा है। तो वहीं दूसरी ओर प्रसूताएं हाय मेरा बच्चा, हाय मेरा लल्ला, हाय मेरे लाला लगातार चिल्ला रही हैं।
किसी की सास सड़क पर बेहोश मिली तो कोई सास बदहवास अपने पोते की तलाश में दूसरे की बच्ची उठाए फिर रही है। कोई डाॅक्टरों से
गिड़गिड़ा रहा है, तो कोई तोहमत लगा रहा है। पूरे मेडिकल काॅलेज के स्पेशल न्यूबाॅर्न केयर यूनिट में चीख-पुकार थमने का नाम नहीं ले रही है।
हाय मेरा बच्चा: आखिर क्या है पूरा मामला
दरअसल झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल काॅलेज के स्पेशल न्यूबाॅर्न केयर यूनिट में शुक्रवार की रात 10: 30 बजे अचानक आईसीयू में आग लग गई। अस्पताल के सुपरिंटेंडेंट के मुताबिक उस वक्त वहां 59 बच्चों का इलाज चल रहा
था। अचानक वहां की एसी में आग लग गई। इससे वहां शार्ट सर्किट हो गया। इससे आईसीयू में भयावह आग लग गई। इसमें 39 बच्चों को रेस्क्यू किया गया। जब कि 10 शिशुओं की झुलसने से मौत हो गई।
आंकड़ों की मानें तो 10 शिशुओं का कोई भी हिसाब बताने को तैयार नहीं है कि उनके साथ क्या हुआ ? कई तो इतनी बुरी तरह से झुलस गए थे कि पहचानने मंे भी दिक्कतें आ रही हैं।
उधर जैसे ही प्रसूताओं को इसकी जानकारी मिली, वे बदहवास अपने-अपने बच्चों को दिखाने के लिए चीखने- चिल्लाने लगीं। चारों ओर से एक ही आवाज आ रही थी, हाय मेरा बच्चा !
प्लीज बस एक बार दिखा दो मेरा बच्चा
नीतू और अमरदीप का ये पहला बच्चा था, नीतू बेहद कमजोर थी, शिशु को भी कुछ दिक्कतें थीं, जिसे देखते हुए उसको स्पेशन न्यूबाॅर्न केयर यूनिट में भर्ती किया गया था।
अब वो अपने पति से बार-बार यही कह रही है कि बस एक बार मेरे बेटे को मुझे दिखा दो प्लीज। अमरदीप पर तो जैसे मानों पहाड़ टूट पड़ा हो वो पत्थरवत बैठा पत्नी के आंसू पोंछे जा रहा है।
इस जले पर खाज साबित हुई अमरदीप की मां जो दवाई लेने मेडिकल स्टोर पर गई थी और रास्ते में ही गिर कर बेहोश हो गई। कुछ लोग उसे संभाल रहे थे तो एक ने आकर अमरदीप को ये खबर दी।
अमरदीप की समझ में नहीं आ रहा था कि वो पत्नी को संभाले या फिर मां की ओर जाए ? वहां मौजूद तकरीबन हर चैथी प्रसूता ऐसे ही चीखें मार रही थीं। मारंे भी क्यों न ? आखिर उनका बच्चा जो जल गया ?
कलेक्टर ने की घटना की पुष्टि
इस लोमहर्षक घटना के महज आधे घंटे के अंदर ही वहां कलेक्टर अविनाश कुमार आ पहुंचे। उन्होंने मेडिकल काॅलेज प्रबंधन से मुलाकात की और घटना की पुष्टि भी कर दी। उन्होंने ये भी बता दिया
कि इसके लिए एक कमेटी बनाई गई है, जो 24 घंटे में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी, उसी के आधार पर कार्रवाई की जाएगी। सबसे बड़ा सवाल तो ये कि आज तक जितनी कमेटियां बनाई गईं, उनमें से कितनों ने रिपोर्ट सौंपी ?
जिनके बुढापे की लाठी चली गई उनको इससे क्या मिलेगा ?भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसर ने बड़ी ही चतुराई से इस घटना की लीपापोती का आगाज कर दिया। उनको इन पीड़ितों के आंसू दिखाई तक नहीं दिए।
शांति का गुमा पोता तो थमा दी गई किसी और की बच्ची
महोबा से आई शांति बाई जो कि बुजुर्ग हो चुकी हैं, वे बड़ी ही बदहवासी से अपने पोते को तलाश रही थीं। उन्होंने डाॅक्टरों से कहा लाला, हमाए लल्ला नहीं दिखाई दे रहे हैं ?
इतने में उनको किसी ने एक बच्ची थमा दी कुछ दूर जाकर जब उन्होंने उसका पर्दा हटाकर देखा तो वो बच्ची थी। अब वो दोबारा अपने पोते की गुहार लेकर वहां डटी रहीं।
एक्सपायरी फाॅयर फाइटर सिलेंडर
महारानी लक्ष्मीबाई मेंडिकल काॅलेज मंे आखिर वही हुआ जिसका डर था। वहां लगाए गए तमाम फाॅयर फाॅइटर्स सिलेंडर कालातीत यानि एक्सपायर हो चुके थे। जिस वक्त स्पेशल बेबीकेयर यूनिट में धमाके के साथ आग लगी।
तो इन सिलेंडरों के गले से थोड़ी सी भी गैस नहीं निकली, निकलती भी भला कैसे, उनकी तो डेट ही एक्सपाॅयर हो चुकी थी।
सवाल तो ये उठता है कि आखिर लोगों की थोक में जान -जाने के बाद ही आखिर प्रशासन की नींद क्यांे टूटती है। सातवां वेतनमान तो सरकार दे रही है, ऐसे लापरवाह और गैर जिम्मेदार लोगों की जिम्मेदारी कौन तय करेगा ?
जिनकी बुढापे की लाठी जल गई, उनका क्या होगा ? क्या कोई दंपत्ति इसके बावजूद भी अपने कलेजे के टुकड़े को जिंदा जलाने के लिए इस मेडिकल काॅलेज में लाएगा ?